पिस्टल वाला जीत रहा है
डोरीलाल के पास एक महाशय देशभक्ति और देशसेवा का मंत्र लेने आए। डोरीलाल ने उन्हें समझाया कि ये बड़े लोगों के चोंचले हैं और वो इसके चक्कर में न पड़ें पर उसे बहुत जोश था। वो इस काम में लोगों के द्वारा की गई प्रगति से प्रभावित था।
डोरीलाल के पास एक महाशय देशभक्ति और देशसेवा का मंत्र लेने आए। डोरीलाल ने उन्हें समझाया कि ये बड़े लोगों के चोंचले हैं और वो इसके चक्कर में न पड़ें पर उसे बहुत जोश था। वो इस काम में लोगों के द्वारा की गई प्रगति से प्रभावित था। उसे लग रहा था कि विकास के क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं। जब वो नहीं माना तो मैंने कहा कि तुम अपनी सीमा तय कर लो। कहां तक जाना है। कितना विकास करना है। क्योंकि विकास के क्षेत्र में आसमान तक जा सकते हो।
जब वो नहीं माने तो मैंने उन्हें कहा कि देशसेवा का सबसे बड़ा काम है समस्याएं पैदा करना। जनता के लिए खूब समस्याएं पैदा करो। इतनी करो कि जनता त्राहि त्राहि करने लगे। रोज नई समस्या पैदा करो। आज जनता एक समस्या को किसी तरह सुलझाकर सोये तो उसी रात दूसरी समस्या पैदा कर दो। समस्याओं का अम्बार लगा दो। जनता जब तुम्हारे पास आए तो बताओ कि ये समस्याएं नहीं हैं ये समस्याओं का हल है। ज्योंहि दूसरी समस्या आती है पहली आदमी भूल जाता है दूसरी को हल करने में लग जाता है। इसी तरह दिन गुजरते जाते हैं और जनता ये भूल जाती है कि वो इस धरती पर जीवन जीने के लिए आई है। वो धीरे धीरे अपना जीवन भूलकर समस्याएं हल करने में लग जाती है।
डोरीलाल जी ये तो हुई देशसेवा अब देशभक्ति के बारे में भी बता दीजिए। मैंने कहा कि समस्याओं को हल न करना ही सच्ची देशभक्ति है। ये एक कला है। इसे ही तुम्हें सिद्ध करना होगा। जब समस्याएं हल न होंगी तो अंत में जनता परेशान होकर तुम्हारे पास आएगी। हमारी समस्याएं हल करो। तब तुम उन्हें कैसे समझाते हो यही कला है। तुम्हें समझाना होगा कि आज जो समस्या है कल होने वाली समस्या उसका हल है। कल जो समस्या होगी परसों वाली समस्या कल वाली समस्या का हल होगी। तुम्हें समझ नहीं आया होगा। यही तुम्हारी समस्या का हल है। जब तुम्हें मेरी बात समझ नहीं आई तो आम जनता को कैसे समझ आएगी। अब तुम्हें लगेगा कि आम जनता भले ही मूर्ख बन जाए मगर खास जनता यानी पढ़े लिखे लोग तो समझ जाएंगे पर दरअसल ऐसा होता नहीं है। आम जनता तो समझने के बाद कुछ बोलती नहीं है मगर पढ़ा लिखा दिन रात चबर चबर करता है। ये परंपरागत मूर्ख है। इसे अशिक्षा मंहगाई बेरोजगारी सब पर गर्व है। पढ़ा लिखा आदमी बहुत ही बड़ा वाला होता है। यदि तुम्हें सत्ता में रहना है तो तुम्हें इसी वर्ग की इस विशेषता को साधना होगा। ये छत में खड़े होकर ताली बजाकर थाली बजाकर गरबा करके गो करोना गो बोलता रह सकता है। जबकि गैर पढ़ा लिखा भूखा आदमी बच्चे को कंधे पर बैठाये महानगर से अपने गांव पैदल चल पड़ता है। फर्क यहीं है।
मगर डोरीलाल जी आखिर एक दिन तो सब समझ जाएंगे कि ये सब क्या चल रहा है ? मैंने कहा कि महान बनने के लिए इतिहास, दर्शन, धर्म, आध्यात्म सभी को समझना और साधना जरूरी है। यदि जनता को मूर्ख बनाना है तो इसके लिए तुम्हें लाखों लोग चाहिए। जो करोड़ों लोगों को मूर्खता में दीक्षित करें। ये तुम कहां से लाओगे। पूरे देश में गली गली लाखों मंदिर हैं। उनमें पुजारी कथावाचक बैठे हैं। ये तुम्हारा काम करेंगे। फिर तुम्हें आदमी के नैसर्गिक गुण की तरफ जाना होगा। मूर्खता। मूर्खता मनुष्य का नैसर्गिक गुण है। पढ़े लिखे और गैर पढ़े लिखे में एक बुनियादी फर्क ये होता है कि पढे़ लिखे में मूर्खता का जो आत्मविश्वास होता है वो उसे आम लोगों से उसी तरह अलग कर देता है जैसे पानी में घी। तो तुम समझ लो कि तुम बहुत बड़ा काम करने जा रहे हो उसके लिए तुममें विराट क्षमता चाहिए। तुम्हें जनता को समझाना होगा कि तुम दरअसल ईश्वर से बस थोड़ा ही कम हो। और इस धरती के लोग फिलहाल ईश्वर के इसी अवतार से काम चला लें। देखो भाई ये एक पूरा प्रोजेक्ट है। यदि मुझसे पूछने आए हो और अपने प्रोजेक्ट के बारे में वाकई गंभीर हो तो मैं आगे बताऊं नहीं तो चने खाओ और निकल्ललो।
वो पीछे पड़ गया तो मैंने उसे बताया कि देश में करोड़ों लोग हैं। इसमें से अधिकांश गरीब हैं। ये केवल गिनती में हैं। इनको गिनना बंद कर दो। इनका इलाज हमारे पास है। कुछ लोग बहुत कम कमाते हैं मगर बस भूखे नहीं मरते। इनकी चिंता भी छोड़ो। अब बचा खाता पीता वर्ग और अमीर लोग। खाता पीता वर्ग पूरे समय अमीर बनने की फिराक में है। और अमीर लोग की कोई इच्छा नहीं है। वो अमीर बने रहें और उनकी अमीरी बढ़ती रहे यही उनकी कामना है। उनको हमारी जरूरत है और हमें उनकी जरूरत है। जैसे सब लोग अपना अपना जॉब करते हैं उसी तरह से हम लोग भी अपना जॉब करते हैं और उसमें अपनी प्रोग्रेस करते हैं। अमीर लोग सामने नहीं आते। वो इतने दयालु होते हैं कि उनके बदले की प्रशंसा भी हमें ही मिलती है। उनका विकास होता है और हमें उस विकास का श्रेय मिलता है। ये पूरी दुनिया में होता है। कोई हमारे देश की बात नहीं है। हम जैसे लोग पूरी दुनिया में हैं जो पर्दे के पीछे छुपे अमीरों के लिए काम कर रहे हैं। ज्यादा खुलकर बताऊं क्या ?
मगर इतना बड़ा टास्क पूरा होगा कैसे ? मैंने कहा कि कुछ प्रतिभा आपके अंदर भी होना चाहिए। प्रतिभा का हमेशा से हमारे देश में आदर होता रहा है। राजनीति मूर्ख बनाने की कला का ही दूसरा नाम है। जनता मूर्ख बनने को तैयार खड़ी है। कौन जीतता है ये दौड़ में शामिल लोगों पर निर्भर करता है। जो अकल की बात करेगा वो हारेगा। मूर्ख बनाने की प्रतियोगिता चल रही है। एक वीडियो कार्टून आया है जिसमें चार लोग दौड़ रहे हैं। एक दौड़ाक के पास दौड़ शुरू करने वाली पिस्टल भी है। वो दौड़ कर आगे निकल जाता है। फिर वो दौड़ शुरू होने की पिस्टल चलाता है। तब बाकी लोग दौड़ना शुरू करते हैं। पिस्टल वाला दौड़ाक अपने पीछे आने वाले दायीं बायीं ओर के दोनों दौड़ने वालों की टांगों पर गोली मार देता है। दौड़ खत्म होने के पहले ही एंड पाइंट वाले फीता लिए लड़के दौड़ाक की ओर दौड़ पड़ते हैं। पिस्टल वाला जीत जाता है।
पिस्टल वाला जीत रहा है।
डोरीलाल पिस्टल प्रेमी