महज पानी पर जी रही थी 18 साल की नंदा, मौत 

नंदा लगभग छह महीने से भोजन से दूर थी। मिली जानकरी के मुताबिक, वह वजन घटाने के लिए ऑनलाइन पोर्टल को फॉलो करती थी और पानी पर जीवित रहती थी।

Mar 12, 2025 - 15:45
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महज पानी पर जी रही थी 18 साल की नंदा, मौत 
18 year old Nanda was surviving on just water, dies
  • एनोरेक्सिया नर्वोसा से थी पीड़ित,
  • महज 24 किलो था वजन 

आज के जमाने में लोग अक्सर अपने वजन को लेकर चिंतित रहते है। हर किसी को या तो जीरो साइज का होने है या फिर एक दम स्लिम एक सेलिब्रिटी की तरह। और यह हासिल करने के लिए आज के युवा कुछ भी करने को तैयार है। ऐसे में एक ऐसा ही मामला केरल से भी सामने आया है। 18 वर्षीय नंदा, जो खाने की बीमारी एनोरेक्सिया से पीड़ित थी उसकी रविवार को थालास्सेरी के एक अस्पताल में मौत हो गई। नंदा लगभग छह महीने से भोजन से दूर थी। मिली जानकरी के मुताबिक, वह वजन घटाने के लिए ऑनलाइन पोर्टल को फॉलो करती थी और पानी पर जीवित रहती थी।

एनोरेक्सिया नर्वोसा क्या है?

एनोरेक्सिया नर्वोसा, जिसे अक्सर एनोरेक्सिया भी कहा जाता है, एक गंभीर खाने का डिसऑर्डर है जो बॉडी की डिस्टोर्टेड इमेज और तेजी से वजन बढ़ने के डर से होता है, जिसके कारण खाने की आदतें सीमित हो जाती हैं और वजन काफी कम हो जाता है। 

परिजनों और डॉक्टरों ने क्या बोला-

नंदा के परिवार और डॉक्टरों के मुताबिक, उनकी भूख न लगने की समस्या कथित तौर पर लगभग पांच से छह महीने तक बनी रही। वह मुश्किल से कुछ खा पाती थी और कथित तौर पर उसने यह बात परिवार से छिपाई थी। लगभग पांच महीने पहले, उसे अस्पताल ले जाया गया और डॉक्टरों ने उसे सलाह दी कि उसे खाने की ज़रूरत है और परिवार को साइकेट्रिस्ट से कंसल्ट करने को कहा। 

महज 24 किलो था वजह-

थालासेरी को-ऑपरेटिव अस्पताल के कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ. नागेश मनोहर प्रभु ने बताया कि नंदा को करीब 12 दिन पहले अस्पताल लाया गया था और उन्हें सीधे आईसीयू में भर्ती कराया गया था। फिजिशियन ने कहा, "उनका वजन मुश्किल से 24 किलो था और वे बिस्तर पर थीं। उनका शुगर लेवल, सोडियम और बीपी कम था। उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और उनकी मौत हो गई।"

जानकारी के मुताबिक, एक रिश्तेदार ने बताया कि नंदा अपने माता-पिता द्वारा दिए जाने वाले भोजन को छिपाकर रखती थी और गर्म पानी पीकर जीवित रहती थी। दो महीने पहले उसे कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया और उसकी जांच की गई। डॉक्टरों ने परिवार को उसे भोजन देने और मनोचिकित्सक से कंसल्ट लेने की सलाह दी। दो सप्ताह पहले, उसका ब्लड शुगर कम हो गया और उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी और उसे तुरंत थालासेरी को-ऑपरेटिव अस्पताल में भर्ती कराया गया।

क्या है एनोरेक्सिया नर्वोसा का कारण-

एनोरेक्सिया नर्वोसा एक ऐसा डिसऑर्डर है जिसमें लोग अपने वजन और खाने को लेकर बहुत अधिक चिंतित रहते हैं। यह विकार आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारणों के कारण हो सकता है। एक अध्ययन के मुताबिक, खासकर किशोरों में, दोस्तों का दबाव, अकेलापन और पतला दिखने की इच्छा जैसे सामाजिक कारण एनोरेक्सिया को बढ़ावा दे सकते हैं। यह बीमारी गंभीर हो सकती है, और इससे होने वाली मृत्यु दर मानसिक बीमारियों में सबसे ज्यादा है।

इससे बदल सकता है  मस्तिष्क का तरीका -

एनोरेक्सिया नर्वोसा से मस्तिष्क का तरीका बदल सकता है, जिससे व्यक्ति खाने को लेकर अलग प्रतिक्रिया दिखाता है। एक अन्य अध्ययन के मुताबिक, एनोरेक्सिया से प्रभावित लोग मीठे स्वाद से बचते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि मीठा खाने से उनका वजन बढ़ जाएगा। उनका मस्तिष्क चीनी खाने से मिलने वाले सुख को नकारता है।