नीदरलैंड में 29 साल की महिला को मिली इच्छा मृत्यु की इजाजत 

नीदरलैंड में एक 29 साल की महिला को इच्छा मृत्यु की अनुमति मिल गई है। महिला का नाम जोराया टेर बीक है, जो नीदरलैंड में जर्मनी के बॉर्डर के पास रहती हैं। महिला ने इच्छा मृत्यु के लिए उसने साढ़े तीन साल तक नीदरलैंड के प्रशासन को मनाने की कोशिश की थी।

May 18, 2024 - 14:58
 17
नीदरलैंड में 29 साल की महिला को मिली इच्छा मृत्यु की इजाजत 
29 year old woman gets permission to euthanize in Netherlands

महिला ने तीन साल तक की प्रशासन को मानाने की कोशिश 

नीदरलैंड में एक 29 साल की महिला को इच्छा मृत्यु की अनुमति मिल गई है। महिला का नाम जोराया टेर बीक है, जो नीदरलैंड में जर्मनी के बॉर्डर के पास रहती हैं। महिला ने इच्छा मृत्यु के लिए उसने साढ़े तीन साल तक नीदरलैंड के प्रशासन को मनाने की कोशिश की थी। जानकारी के मुताबिक महिला को इसी महीने इच्छा मृत्यु दी जा सकती है।

कई सालो से असहनीय मानसिक परेशानियों से ग्रस्त-

जोराया कई सालों से ऑटिज्म और असहनीय मानसिक परेशानियों से जूझ रही हैं। ऑटिज्म से जूझ रहा शख्स खुद को मार और चोट पंहुचा सकता है। उसमें आत्महत्या के विचार आते रहते हैं। जोरायो को लगा कि उनकी समस्या का अब कोई हल नहीं है। इसके चलते उन्होंने इच्छा मृत्यु की मांग की थी। हालाांकि, जोराया शारीरिक रूप से बिल्कुल फिट है। ऐसे में उनकी इच्छा मृत्यु को मिली मंजूरी पर सवाल खड़े होने लगे हैं। लोगों का कहना है कि मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोग तेजी से इच्छा मृत्यु को अपना रहे हैं।

बचपन से ही एंग्जायटी-ट्रॉमा का शिकार-

जोराया ने बताया कि उसकी परेशानियां बचपन में ही शुरू हो गई थीं। उनको क्रॉनिक डिप्रेशन, एंग्जायटी, ट्रॉमा और पर्सनैलिटी डिसऑर्डर जैसी समस्याएं होने लगी। इसके अलावा उन्हें ऑटिज्म की भी समस्या थी। इसमें वह खुद को ही चोट पहुंचाने लगी। कुछ साल बाद जब जोराया को एक पार्टनर मिला तो उन्हें लगा था कि सब ठीक हो जाएगा। उनकी मानसिक समस्याएं अब दूर हो जाएंगी, मगर कोई हल नहीं निकला। जोराया ने खुद को नुकसान पहुंचाना जारी रखा। जोराया ने अपनी बीमारियों से लड़ने के लिए इलेक्ट्रोकन्वलसिव थेरेपी की 30 से ज्यादा थेरेपी ली। इसमें रोगी को बिजली के झटके दिए जाते हैं। मगर उसकी सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ। जोराया ने आगे कहा, जब आप इलाज शुरू करते हैं तो एक उम्मीद रहती है कि सब ठीक हो जाएगा मगर समय के साथ वो उम्मीद भी खत्म होने लगी।

10 सालों तक कराया इलाज-

जोराया ने बताया कि 10 सालों तक कई तरीकों से अपना इलाज कराने के बाद आखिरकार निराश होकर उसने स्वस्थ जीवन जीने की उम्मीद छोड़ दी। इसके बाद उसने इच्छा मृत्यु के लिए आवेदन दिया। उन्होंने कहा कि इच्छा मृत्यु पाना इतना भी आसान नहीं है। ऐसा नहीं है कि आप शुक्रवार को मरने की सोचें और रविवार को आपको मौत मिल जाए। यह लंबी प्रोसेस होती है जिसमें आप कई डॉक्टरों से मिलते हैं। जो तय करते हैं कि आपकी इच्छा मृत्यु की मांग उचित है या नहीं। हर स्टेज पर डॉक्टर आपसे ये पूछते हैं कि क्या आप जान देने को तैयार हैं। हर बार उसे इसके लिए हामी भरनी पड़ती।

नीदरलैंड में 2001 से मिली इच्छा मृत्यु को वैधता-

नीदरलैंड ऐसा पहला देश है जिसने इच्छा मृत्यु को कानूनी अनुमति दी है। साल 2001 में वहां इच्छा मृत्यु को वैधता मिली। नीदरलैंड में आमतौर पर इच्छा मृत्यु की मंजूरी मिलने के बाद डॉक्टर्स लास्ट टाइम प्रोसीजर संबधित व्यक्ति के घर पर ही करते हैं। इस दौरान पेशेंट को एक खास तरह का इंजेक्शन दिया जाता है और कुछ ही मिनट में उसकी मौत हो जाती है। खास बात यह है कि मौत के बाद भी इस मामले की जांच होती है। अगर डॉक्टर्स की जरा भी लापरवाही सामने आती है तो उन्हें 12 साल की कैद हो सकती है। 2022 के दौरान नीदरलैंड में कुल 8501 लोगों ने इस कानूनी तरीके से प्राण त्यागे थे।