जबलपुर के निजी स्कूलों की दुकान विशेष पर प्रशासन का शिकंजा
कलेक्टर कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिन 16 और निजी स्कूलों के विरुद्ध मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस एवं अन्य संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही प्रारम्भ की गई है |
16 और निजी स्कूलों के खिलाफ प्रकरण, कलेक्टर बोले...बख्शेंगे नहीं
अभिभावकों को दुकान विशेष से कॉपी-किताबें, यूनिफार्म, जूते, टाई, बैग आदि खरीदने के लिये बाध्य करने वाले निजी स्कूलों के विरुद्ध कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर शुरू की गई मुहिम के तहत जिला प्रशासन द्वारा शिकायतों के आधार पर 16 और स्कूलों पर मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फ़ीस एवं अन्य विषयों का विनियमन) अधिनियम-2017 के तहत प्रकरण दर्ज कर विधिक कार्रवाई प्रारंभ की गई है। इस प्रकार अब ऐसे निजी स्कूलों की संख्या 34 हो गई है जिनके विरुद्ध प्रशासन द्वारा इस अधिनियम के विरुद्ध कर प्रकरण दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही की जा रही है।
कलेक्टर कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिन 16 और निजी स्कूलों के विरुद्ध मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस एवं अन्य संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही प्रारम्भ की गई है, उनमें शिव शक्ति स्कूल सिहोरा, सत्य प्रकाश पब्लिक स्कूल जबलपुर, सिटिज़न किंगडम स्कूल जबलपुर, पायल सीनियर सेकेंडरी स्कूल संजीवनी नगर, जाय सीनियर सेकेंडरी स्कूल, टेडी स्मार्ट किड्स स्कूल शांतिनगर, रायल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, स्काटिश कानवेंट स्कूल महाराजपुर, एमएम इन्टरनेशनल स्कूल, पोद्दार इन्टरनेशनल स्कूल गोराबाज़ार, स्प्रिंग डे स्कूल आनन्द नगर, मदर टेरेसा इंग्लिश मीडियम स्कूल रांझी, सेंट ज़ेवियर स्कूल शांति नगर, लिटिल किंगडम स्कूल आधारताल, विवेकानंद विजडम पब्लिक स्कूल भेडाघाट एवं एकलव्य आफ एक्सीलेंस स्कूल पाटन शामिल हैं।
निजी स्कूल संचालकों की बैठक में कलेक्टर ने कहा...पैरेन्ट्स को किस दुकान से क्या खरीदना है, आप लोग सलाह न दें
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जिले की सभी निजी स्कूल संचालकों व उनके प्रतिनिधियों की बैठक कलेक्टर सभागार में आयोजित की गई। जिसमें उन्होंने निजी स्कूल संचालकों से कहा कि आप लोग बच्चों को शिक्षित करने के लिये एक महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं लेकिन नये शैक्षणिक सत्र की शुरुआत पर कतिपय स्कूल प्रबंधन एवं प्राचार्य द्वारा एनसीईआरटी या एससीईआरटी से संबंधित पुस्तकों के साथ अन्य प्रकाशकों की अधिक मूल्य की पुस्तकें एवं शैक्षिक सामग्री अथवा यूनिफार्म खरीदने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पालकों को बाध्य करने के शिकायतें सामने आई हैं जिसके कारण विद्यार्थियों व पालकों को महंगे दामों में उक्त सामग्री मिल रही है जो उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि स्कूली सामग्री विक्रेताओं के एकाधिकार पर अंकुश लगाने के लिये निजी स्कूल संचालकों के समिति बनाकर इसे पारदर्शी बनाना है। जिसमें शैक्षणिक सामग्री व ड्रेस उचित दर पर सभी को सुलभ हो जाये। इसके लिये उन्होंने एसओपी बनाने के निर्देश् दिये। जिसमें कहा कि किस दुकान से क्या खरीदें यह सलाह देना बंद करें, पाठ्यक्रम अनुसार पुस्तक मेला लगाने पर विचार करें, प्रायवेट स्कूल वाले एक समूह बनाकर इस दिशा में उचित निर्णय लेकर आवश्यक कार्यवाही करें। उन्होंने कहा कि प्रायवेट स्कूल संचालक आपस में निर्णय कर इस दिशा में कारगर कदम उठायें अन्यथा प्रशासन इस दिशा में आवश्यक कार्यवाही करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी दुकान विशेष से शैक्षणिक सामग्री व ड्रेस खरीदने के लिये बाध्य करना एक अपराधिक षडयंत्र के साथ लूट भी है। प्रशासन ऐसे किसी अपराधिक षडयंत्र या लूट को बर्दाश्त नहीं करेगा और ऐसा करने वालों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी। इस दौरान निजी स्कूल संचालक भी अपने विचार व्यक्त कर शैक्षणिक सामग्री व ड्रेस उचित दर पर सुनिश्चित करने संबंधी विचार व्यक्त कर विक्रेताओं के एकाधिकार के नियंत्रण के लिये पब्लिक ट्रस्ट बनाने में सहमति दी और दस प्रमुख स्कूलों की एक समिति बनाई गई जो इस दिशा में कार्य करेगी।