बंद बाड़ों में ही रहना होगा अफ्रीकी चीतों को
मप्र चीतों के लिए बेहद मुफीद होने से अब उनके लिए नया ठिकाना गांधी सागर अभ्यारण्य को बनाया जा रहा है। इसमें जरुरी सभी तरह की सुविधाएं जुटाने के साथ ही अब चीतों के आने का इंतजार किया जा रहा है।
गांधी सागर अभयारण्य में सभी तैयारी पूरी, अब चीतों का इंतजार
मप्र चीतों के लिए बेहद मुफीद होने से अब उनके लिए नया ठिकाना गांधी सागर अभ्यारण्य को बनाया जा रहा है। इसमें जरुरी सभी तरह की सुविधाएं जुटाने के साथ ही अब चीतों के आने का इंतजार किया जा रहा है। यहां पर केन्या या फिर दक्षिण अफ्रीका से चीते लाए जाने हैं। इन चीतों को यहां आने के बाद अपने बाड़ों में ही बंद रहना पड़ेगा। इसकी वजह है इस अभ्यारण को उनके ब्रीडिंग सेंटर के रुप में विकसित करने की योजना बनाई जा रही है।
जानकारी के अनुसार इस अभ्यारण में बाड़े तो पहले ही तैयार किए जा चुके हैं। इसके बाद चीतों के मनपंसद भोजन के लिए चीतल और हिरण भी लगातार दूसरे अभ्यरणों से ले जाकर छोड़े जा रहे हैं। इसके अलावा चीतों के इलाज के लिए आधुनिक सुविधाओं वाला अस्पताल भी बनाया गया है। केंद्र सरकार से मंजूरी के बाद चीतों को केनिया या दक्षिण अफ्रीका से लाया जाएगा। चीतों के लिए तैयार हो रहा गांधी सागर अभयारण्य कूनो से अलग रहेगा। यहां चीतों की ब्रीडिंग पर फोकस रहेगा। यहां आने वाले चीतों को खुले जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा।
900 वर्ग किमी में बनेगा बफर जोन-
केंद्र सरकार ने गांधी सागर अभयारण्य की सीमा के बाहर 3 किमी के क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन बनाने का गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इधर, गांधी सागर अभयारण्य के आसपास मंदसौर, नीमच जिले के रिजर्व फॉरेस्ट के 900 वर्ग किमी को बफर जोन बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है। इससे गांधी सागर अभयारण्य में वन्य जीव को विचरण के लिए 1300 वर्ग किमी का दायरा मिल जाएगा। वन विभाग का मानना है कि भविष्य में चीतों, चीतल के स्वच्छंद विचरण के लिए गांधीसागर अभयारण्य का बड़ा होना काफी जरूरी है। गौरतलब है कि गांधी सागर अभयारण्य वर्तमान में पूर्व दिशा में राजस्थान के कोटा जिले के रावतभाटा व भैंसरोडग़ढ़ सेंचुरी से मिलता है। उत्तर में नीमच जिले के साथ ही राजस्थान का चित्तौडग़ढ़ जिला है।
65 लाख से बन रहा आधुनिक केयर यूनिट-
गांधी सागर अभयारण्य में चीतों के लिए आधुनिक केयर यूनिट भी तैयार हो रही है। इस आधुनिक यूनिट पर करीब 65 लाख रुपए का खर्च हो रहे हैं। आधुनिक केयर यूनिट का काम भी लगभग पूरा हो चुका है। इससे चीतों को हर तरह का इलाज गांधी सागर अभयारण्य में ही मिल जाएगा। यहां वन्य प्राणियों में तेंदुआ, भेडिय़ा, सियार, भारतीय लोमड़ी, धारीदार लकड़बग्घा, रीछ जैसे वन्य जीव विचरण रहते हैं। ऊदबिलाव, गिद्ध, नीलगाय, हायना, जेकल जैसी कई प्रजातियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार गांधी सागर में मनुष्य का हस्तक्षेप अधिक नहीं होने से यह वन्य जीवों के लिए अच्छी जगह बना हुआ है।