केपटाउन के बाद अब राजस्थान के मरू की बारी, 2025 तक ख़त्म हो जाएगा पानी
साउथ अफ्रीका की राजधानी केपटाउन को दुनिया का पहला जलविहीन शहर घोषित किया गया है। इसी को देखते हुए अगला नंबर हमारे राजस्थान का हो सकता है। साढ़े आठ करोड़ की आबादी वाले मरू प्रदेश राजस्थान में पानी ही नहीं बचा है।
साउथ अफ्रीका की राजधानी केपटाउन को दुनिया का पहला जलविहीन शहर घोषित किया गया है। इसी को देखते हुए अगला नंबर हमारे राजस्थान का हो सकता है। साढ़े आठ करोड़ की आबादी वाले मरू प्रदेश राजस्थान में पानी ही नहीं बचा है। राजस्थान में हर साल बारिश और अन्य स्रोतों से जितना पानी रिचार्ज होता है उससे 5.49 बिलियन क्यूबिक मीटर ज्यादा पानी इस्तेमाल हो रहा है। यानी भविष्य की बचत को आज ही खर्च किया जा रहा है।
केंद्रीय भू जल बोर्ड व राजस्थान के भूजल विभाग की डायनामिक ग्राउंड वाटर रिसोर्स रिपोर्ट में 2025 तक जयपुर अजमेर, जैसलमेर और जोधपुर में पानी की उपलब्धता का आकलन शून्य किया गया है। मौजूदा हालात भी अच्छे नजर नहीं आ रहे हैं। भीषण गर्मी में राजस्थान के कई जिलों में पानी की राशनिंग पहले से जारी है। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 2025 तक इन शहरों में भूजल का गतिशील संसाधन शून्य हो जाएगा। इसका अर्थ यह है कि यहां जितना पानी रिचार्ज हो रहा है, उससे कहीं ज्यादा हम जमीन से निकाल रहे हैं। इससे राजस्थान के 302 ब्लॉक्स में से 219 खतरे के निशान से बहुत उपर जा चुके हैं। इन्हें अति दोहन की श्रेणी में रखा गया है। शेष में से 22 क्रिटिकल, 20 सेमी क्रिटिकल हैं। सिर्फ 38 ब्लॉक्स जल उपलब्धता के लिहाज से सुरक्षित बताए गए हैं।
40 साल में उलट गई स्थिति-
भूजल सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 40 साल में राजस्थान की स्थिति एकदम पलट गई है। साल 1984 में राजस्थान में 236 ब्लॉक्स में से 203 पीने के लिए सुरक्षित थे। 10 सेमी क्रिटिकल, 11 क्रिटिकल और 12 अति-दोहन वाले थे। राजस्थान में जितना पानी रिचार्ज होता था उसका 35.75 फीदसी ही हम इस्तेमाल करते थे। 2023 में जितना रिचार्ज होता है, उसका 148.77 फीदसी हम काम में ले रहे हैं। यानी जमीन से जो पानी हम खींच रहे हैं वह भविष्य की सेविंग्स है, जिसे हम आज खर्च कर रहे हैं। इससे जल्द ही कंगाल होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
डायनामिक फैक्टर्स के आधार पर तैयार की जाती है रिपोर्ट-
भूजल वैज्ञानिकों ने बताया कि रिपोर्ट डायनामिक फैक्टर्स के आधार पर तैयार की जाती है। इसमें समय-समय पर बदलाव हो सकते हैं। यदि बारिश अच्छी हो और रिचार्ज ठीक से किया जाए तो यह स्थिति बदल सकती है। भूजल विभाग के मुख्य अभियंता सूरज भान सिंह ने बताया कि भूजल संरक्षण के लिए चलाई जा रही अटल भूजल योजना के तहत पिछले चार वर्षों में 15 हजार जल संचयन संरचनाएं बनाई गईं। इसके अलावा 30 हजार से अधिक किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर की ओर मोड़कर पानी खपत कम करने की कोशिश भी की गई। इससे 17 जिलों की 1129 ग्राम पंचायतों में से 189 ग्राम पंचायतों में जलस्तर बढ़ गया है। 289 ग्राम पंचायतों में स्थिति में मामूली सुधार हुआ है।