आपत्तियां सुनने के बाद बिजली कंपनी वोटिंग कराएगी
बिजली कम्पनी की सिंगल प्वाइंट कनेक्शन योजना पर विद्युत नियामक आयोग ने आपत्तियों की सुनवाई कर ली है। वहीं बिजली कम्पनी का दावा है कि ये फॉर्मूला लागू करने से पहले वोटिंग कराई जाएगी।
सिंगल प्वाइंट कनेक्शन फॉर्मूले के तहत कंपनी का दावा, विशेषज्ञ बोले...चोर दरवाजे से आर्थिक बोझ बढ़ाने की खुराफात
बिजली कम्पनी की सिंगल प्वाइंट कनेक्शन योजना पर विद्युत नियामक आयोग ने आपत्तियों की सुनवाई कर ली है। वहीं बिजली कम्पनी का दावा है कि ये फॉर्मूला लागू करने से पहले वोटिंग कराई जाएगी। इधर, सख्त आपत्तियां दर्ज करने वाले विशेषज्ञ कहते हैं कि ये सब कुछ चोर दरवाजे से जनता पर आर्थिक बोझ डालने की खुराफात है। बताया गया है कम्पनी धीरे-धीरे इस दिशा में अंदरूनी तौर पर काम कर रही है।
इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड में बदलाव के प्रस्ताव से जुड़ा ये फॉर्मूला कई उलझनों का सबब बन चुका है। आपत्तिकर्ताओं ने बिजली कंपनी के इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड में बदलाव को असंवैधानिक बताया है। मप्र विद्युत नियामक आयोग की आनलाइन जनसुनवाई में आपत्तिकर्ताओं ने कहा कि चुनाव की आदर्श आचार संहिता के बीच इस प्रस्ताव पर कार्रवाई गलत है। कई ने इसे संशोधन ने पिछले दरवाजें से उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ डालने का आरोप लगाया। बिजली कंपनी एक तरह से कालोनी और सोसायटी में अलग-अलग उपभोक्ता को कनेक्शन देने की बजाए एक डिस्टीब्यूटर बनाना चाह रही है जिसके मार्फत बिजली की आपूर्ति हो। सोयायटी या कालोनी के नाम एक कनेक्शन हो जिसकी वसूली भी बिजली कंपनी एक कनेक्शन के जरिए करेगी। इस कनेक्शन से यहां रहने वाले उपभोक्ताओं के घरों में बिजली कनेक्शन दिया जाएगा,जिनसे बिल के अलावा सेवा शुल्क भी वसूल किया जाएगा। नए नियम को लागू करने से पूर्व बिजली कंपनी इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड में बदलाव करना चाह रही है, इसके लिए मप्र विद्युत नियामक आयोग को प्रस्ताव भेजा गया था।
तर्क की कसौटी पर ये स्कीम-
आनलाइन जनसुनवाई में मप्र विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष एसपीएस परिहार, प्रशांत चतुर्वेदी सदस्य तकनीकी, गोपाल श्रीवास्तव सदस्य विधि ने अपत्तिकर्ताओं की बात सुनी। प्रदेशभर से सिर्फ चार अपत्ति लगी, जिसमें इंदौर के एसके जैन और जबलपुर के राजेंद्र अग्रवाल, डा.पीजी नाजपांडे ने अपत्ति लगाई। आपत्तिकर्ता राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि बिजली कंपनी इस बदलाव से उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ाने का प्रयास कर रही है। उपभोक्ता के प्रति कंपनी के दायित्व होते हैं जिनसे बिजली कंपनी मुंह मोड़ रही है। वहीं नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डा.पीजी नाजपांडे ने अपत्ति में बताया कि विद्युत प्रदाय संहिता 2021 में समूह प्रयोक्ता को एकल बिंदु पर बिजली आपूर्ति प्राप्त करने की पात्रता रखने के पीछे उद्देश्य यह था कि इससे फ्रेंचाईजी शुरू करने का रास्ता खुल जाएगा। लेकिन अब प्रस्तावित संशोधन में रेसीडेंट वेलफेयर एसोसियशन को क्षेत्र में रहने वाले उपभोक्ताओं से बिल तथा सेवा शुल्क वसूलने के अधिकार देने से वह विच्छेदकारी फ्रेंचाईजी बनेगी, क्योंकि यह कार्य सोसायटी या रेसीडेंट एसोसिएशन के पदाधिकारी करेंगे तो रहवासियों में आपसी तनाव या विवाद निर्माण होंगे, ऐसे में यह विच्छेदकारी फ्रेंचाईजी बन जायेगी।
50 फीसदी से अधिक सहमति जरुरी -
जानकारी के अनुसार प्रस्ताव के तहत जिस भी कालोनी में सिंगल कनेक्शन देकर बिजली सप्लाई करने का प्रस्ताव हैं वहां पर पहले बिजली कंपनी लोगों के बीच सर्वे कराएगी। जब तक 50 फीसदी से अधिक लोगों द्वारा सहमति नहीं दे दी जाती तब तक वहां पर इसको लागू नहीं किया जाएगा।