पूर्व बिशप पीसी सिंह का एक और फर्जीवाड़ा आया सामने, भूमि अधिग्रहण से मिली 2 करोड़ 45 लाख की राशि हड़पी
पूर्व बिशप पीसी सिंह से जुड़ा फर्जीवाड़े का मामला लगातार गहराता जा रहा है। हालिया जांच में सामने आया है कि रेलवे विभाग द्वारा भूमि अधिग्रहण के बदले दी गई 2 करोड़ 45 लाख रुपये की रकम उन्होंने चोरी-छिपे एक फर्जी खाता खोलकर हड़प ली।

पूर्व बिशप पीसी सिंह से जुड़ा फर्जीवाड़े का मामला लगातार गहराता जा रहा है। हालिया जांच में सामने आया है कि रेलवे विभाग द्वारा भूमि अधिग्रहण के बदले दी गई 2 करोड़ 45 लाख रुपये की रकम उन्होंने चोरी-छिपे एक फर्जी खाता खोलकर हड़प ली। इस पूरे मामले में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज कर लिया है।
पीसी सिंह के पास थी पावर ऑफ अटॉर्नी
ईओडब्ल्यू से मिली जानकारी के मुताबिक, एनडीटीए के चेयरमैन पॉल दुपारे ने पूर्व बिशप पीसी सिंह को जबलपुर डायोसिस के तहत आने वाली संपत्तियों की देखरेख के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी दी थी। एनडीटीए एक पंजीकृत संस्था है, जो नागपुर के चैरिटी कमिश्नर कार्यालय में बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत है। इस एक्ट के तहत ट्रस्ट की संपत्तियों की बिक्री या मुआवजा लेने के लिए चैरिटी कमिश्नर की अनुमति अनिवार्य होती है।
फर्जी अधिकार पत्र से ट्रांसफर कराई राशि
पूर्व बिशप पीसी सिंह ने एक फर्जी अधिकार पत्र का इस्तेमाल कर अधिग्रहण की रकम अपने कब्जे में ले ली। जानकारी के अनुसार, कटनी स्थित बार्स्लेय स्कूल की 0.022 हेक्टेयर भूमि, जो एनडीटीए के नाम पर पंजीकृत थी, उसका अधिग्रहण रेलवे विभाग ने किया था। लेकिन पीसी सिंह ने एनडीटीए के चेयरमैन पॉल दुपारे के साथ मिलकर यह राशि अधिकृत खाते में जमा नहीं करवाई। उन्होंने जाली दस्तावेज तैयार कर 16 जनवरी 2021 को पूरी रकम 'बोर्ड ऑफ एजुकेशन सीएनआई, जबलपुर डायोसिस' के खाते में ट्रांसफर करवा दी।
ये धाराएं लगाई गईं
ईओडब्ल्यू की जांच में खुलासा हुआ कि दोनों ने मिलकर 2 करोड़ 45 लाख 30 हजार रुपये का गबन किया। इस पर उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी) और 120 बी (साज़िश) के तहत मामला दर्ज किया गया है।