टेलीकॉम फैक्ट्री की हरियाली बचाने हाईकोर्ट से गुहार
शहर के बीचों बीच स्थित टेलीकॉम फैक्ट्री बीते कई सालों से बंद है। यह फैक्ट्री अब यहां रहने वालों के लिए घूमने का स्थान बन चुकी है। टेलीकॉम फैक्ट्री में फैली हरियाली इस कदर लोगों को प्रभावित करती है कि लोग इसे ऑक्सीजन बैंक भी कहते हैं।
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने दायर की याचिका
द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर।
शहर के बीचों बीच स्थित टेलीकॉम फैक्ट्री बीते कई सालों से बंद है। यह फैक्ट्री अब यहां रहने वालों के लिए घूमने का स्थान बन चुकी है। टेलीकॉम फैक्ट्री में फैली हरियाली इस कदर लोगों को प्रभावित करती है कि लोग इसे ऑक्सीजन बैंक भी कहते हैं। बीएसएनएल की बेशकीमती जमीन को बेंचने के लिए केन्द्र सरकार तैयारी कर रही है। जिसके विरोध में नागरिक उपभोक्ता मंच ने हाईकोर्ट में यह कहते हुए याचिका दायर की है कि शहर के बीचों-बीच स्थित जंगल को बिकने न दिया जाये। मंच के अनुसार, हाईकोर्ट में दायर की जनहित याचिका पर जल्द ही सुनवाई होगी।
-पेड़ों का कटना अच्छा नहीं
दरअसल, जबलपुर स्नेह नगर में बीएसएनएल टेलीकॉम फैक्ट्री की 70 एकड़ जमीन जंगल से लबरेज है। यहां पर छोटे-छोटे जीव जंतु सहित कई प्रजाति के पक्षी भी हैं। स्थानीय लोगों को जानकारी लगी कि केन्द्र सरकार ने बीच शहर में स्थित कीमती जमीन को बेचने की तैयारी कर ली है। स्थानीय लोगों ने 20 हजार पेड़ों वाले जंगल को बचाने की शुरुआत करते हुए आंदोलन किए, इस बीच सरकार की कवायद भी चलती रही।
-क्या है कानूनी पेंच
फैक्ट्री की 70 में से 26 एकड़ जमीन राज्य सरकार ने दी थी। लिहाजा, जमीन को वापिस लेने का आदेश देते हुए सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। कोर्ट में लंबित इसी मामले में अब शहर के सामाजिक संगठन की ओर से एक हस्तक्षेप याचिका दायर की गई है, जिसमें जमीन की बिक्री रोकने और उसमें लगे 20 हजार पेड़ों को कटने से बचाने की मांग की गई है। मंच के रजत भार्गव ने बताया कि बीच शहर में छोटा वन तैयार हो चुका है, जहां हजारों पेड़ हैं, जिनमें कई तरह के पशु-पक्षी वास करते हैं। याचिका में कहा है कि अगर यह जमीन बिक जाएगी तो वन को काटते हुए यहां पर व्यवसायिक उपयोग होगा, जो पर्यावरण के लिये अच्छा नहीं है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस जमीन को सहजते हुए नेचुरल प्लेस बनाना चाहिए।