5 सालों से 13 प्रतिशत पद पर नियुक्ति होल्ड
प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस विनय सराफ द्वारा की गयी।
-ओबीसी मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से पेश किया गया तर्क
प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस विनय सराफ द्वारा की गयी। याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि सरकार पिछले 5 सालों से 13 प्रतिशत पदों पर नियुक्ति होल्ड किये हुए है। सर्वोच्च न्यायालय में ओबीसी आरक्षण संबंधित याचिकाएं लंबित होने के कारण युगलपीठ ने अगली सुनवाई अप्रैल माह के पहले सप्ताह में निर्धारित की गयी है।
गौरतलब है कि प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण किये जाने के खिलाफ व पक्ष में 91 याचिकाएं दायर की गयी थी। मुख्य याचिका के साथ लिंक की गयी याचिकाओं की सुनवाई युगलपीठ द्वारा संयुक्त रूप से की गयी। याचिका में कहा गया था कि ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने से कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो जायेगा,जो सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक बेंच द्वारा पारित आदेश के विरूध्द होगा।
याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया कि सरकार ने नियम विरुद्ध तरीके से 87ः13 फार्मूला लागू कर रखा है। सरकार पिछले पांच सालों से 13 प्रतिशत पदों पर नियुक्ति होल्ड कर रखी हुई है। जिससे कई अभ्यर्थियों को भविष्य प्रभावित हो रहा है। युगलपीठ को बताया गया कि ओबीसी आरक्षण संबंधित याचिका स्थानांतरण की जाने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की गयी है। जिस पर सुनवाई मार्च माह के अंतिम सप्ताह में निर्धारित है। युगलपीठ ने याचिका पर अगली अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में निर्धारित की है।