आकर्षक नॉन स्टिक बर्तन घर की शोभा बढ़ाएंगे, स्वास्थ्य को पहुंचाएंगे नुकसान 

इन दिनों नॉन स्टिक बर्तन किचन की शोभा बढ़ाते हुए नजर आते हैं। या यूं कह सकते हैं कि नॉन स्टिक बर्तन लोगों की पहली पसंद में शामिल हो गए हैं। इनका रख-रखाव और धोना आसान होता है, लेकिन ये आपके स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है।

May 18, 2024 - 17:47
May 20, 2024 - 15:27
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आकर्षक नॉन स्टिक बर्तन घर की शोभा बढ़ाएंगे, स्वास्थ्य को पहुंचाएंगे नुकसान 
Attractive non-stick utensils will enhance the beauty of the house, will harm health

इन दिनों नॉन स्टिक बर्तन किचन की शोभा बढ़ाते हुए नजर आते हैं। या यूं कह सकते हैं कि नॉन स्टिक बर्तन लोगों की पहली पसंद में शामिल हो गए हैं। इनका रख-रखाव और धोना आसान होता है, लेकिन ये आपके स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। हाल ही में भारतीय मेडिकल रिसर्च काउंसिल ने कहा है कि नॉन स्टिक बर्तनों का इस्तेमाल करना  सेहत के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। आईसीएमआर के मुताबिक इस तरह के बर्तनों में खाना पकाने से खाने में मौजूद पौष्टिक तत्व कम हो जाते हैं। क्योंकि नॉन स्टिक बर्तन को बनाने में टेफ्लॉन का इस्तेमाल किया जाता है, यह खतरनाक है। जैसे ही बर्तन खाना पकाने के लिए गर्म होता है, इससे परफ्लुरोऑक्टानोक एसिड निकलता है। इस एसिड से कैंसर हो सकता है। रिपोर्ट का कहना है कि ऐसे बर्तन जिनमें थोड़े बहुत स्क्रेच हैं, उनके गर्म होने पर भारी मात्रा में हानिकारक पदार्थ निकलते हैं। ये हानिकारक पदार्थ कैंसर जैसी बीमारी तक को जन्म दे सकते हैं। 

मिट्टी के बर्तनों का करें इस्तेमाल 

आईसीएमआर ने सलाह दी है कि नॉन स्टिक बर्तनों के स्थान पर मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करें। इनमें तेल भी कम लगता है और गर्म होने पर भी खाने में पोषक तत्वों की गुणवत्ता वैसी ही बनी रहती है। इसके अलावा बिना पॉलिश वाले ग्रेनाइट बर्तनों का उपयोग भी अच्छा है। नॉन स्टिक बर्तनों का उपयोग कर रहे लोगों को ध्यान देना चाहिए कि बर्तनों को साफ करने या खाना बनाते समय स्क्रैच न आए। 

बर्तनों में न रखें कोई सामान 

एनआईएन ने बताया है कि चटनी और सांभर को एल्यूमिनियम, आयरन, ब्रास और कॉपर के बर्तन में न रखें क्योंकि अम्लता बढ़ जाएगी और इससे नुकसान होगा। वहीं एल्यूमिनियम के बर्तन भी खाना बनाने के लिए अच्छा नहीं माना गया है। इससे एल्यूमिनियम रिसकर भोजन में मिल सकता है। दूसरी ओर स्टील के बर्तनों में ये तत्व नष्ट होने लगते हैं और इससे निकले हानिकारक रसायन किडनी और लिवर फंक्शन को प्रभावित करते हैं।