बैसाखी 2025:- खुशियों और नई फसल का त्योहार

बैसाखी भारत का एक प्रमुख पर्व है, जिसे हर वर्ष अप्रैल माह में विशेष रूप से उत्तर भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

Apr 12, 2025 - 16:01
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बैसाखी 2025:- खुशियों और नई फसल का त्योहार
Baisakhi 2025:- Festival of happiness and new harvest

जानिए क्या है महत्व और तिथि 

बैसाखी भारत का एक प्रमुख पर्व है, जिसे हर वर्ष अप्रैल माह में विशेष रूप से उत्तर भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से कृषि और धर्म दोनों से गहराई से जुड़ा हुआ है। बैसाखी न केवल नई फसल की कटाई की खुशी का प्रतीक है, बल्कि सिख धर्म के इतिहास में भी इसका विशेष स्थान है। इसी दिन सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी, जो समानता, निडरता और धर्मनिष्ठा का प्रतीक बना।

बैसाखी 2025 की तिथि-

बैसाखी प्रतिवर्ष मेष संक्रांति के दिन मनाई जाती है, जो आमतौर पर 13 या 14 अप्रैल को होती है। वर्ष 2025 में बैसाखी 13 अप्रैल को मनाई जाएगी। यह समय किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह रबी फसलों की कटाई का समय होता है, और किसान इसे समृद्धि तथा परिश्रम के फलस्वरूप प्राप्त आभार के रूप में मनाते हैं।

सांस्कृतिक महत्व-

बैसाखी भारतीय कृषि समाज की समृद्ध परंपराओं को दर्शाने वाला पर्व है। विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में यह पर्व अत्यधिक उल्लास से मनाया जाता है। इस दिन किसान नई फसल की कटाई के बाद ईश्वर को धन्यवाद देते हैं और विभिन्न लोकनृत्यों जैसे भांगड़ा और गिद्दा के माध्यम से अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हैं।

साथ ही, मेलों, पारंपरिक गीत-संगीत और सामूहिक उत्सवों के आयोजन से यह पर्व सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ावा देता है।

धार्मिक महत्व-

सिख समुदाय के लिए बैसाखी विशेष धार्मिक महत्व रखती है। यह दिन खालसा पंथ की स्थापना की स्मृति में मनाया जाता है, जो धर्म, न्याय और समानता के सिद्धांतों पर आधारित था।

इस अवसर पर गुरुद्वारों में विशेष अरदास, कीर्तन, लंगर सेवा और नगर कीर्तन का आयोजन होता है। श्रद्धालु गुरु गोबिंद सिंह जी के मार्गदर्शन में चलने का संकल्प लेते हैं और इस दिन को आध्यात्मिक शुद्धि और आत्मबल की प्रतीक रूप में मनाते हैं।

बैसाखी का आयोजन-

बैसाखी के दिन लोग अपने घरों और धार्मिक स्थलों को सजाते हैं, पारंपरिक वस्त्र पहनते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। पंजाब में विशेष तौर पर बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है, जहां लोककला, खेल, खान-पान और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देखने को मिलती हैं। इस दिन समाज में भाईचारे, सहयोग और उत्सव का वातावरण बना रहता है।

बैसाखी एक ऐसा पर्व है जो भारतीय संस्कृति, कृषि परंपरा और धार्मिक आस्था को एकसाथ जोड़ता है। यह दिन न केवल प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है, बल्कि धार्मिक एकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है।