दो दिन मनाई जाएगी बसंत पंचमी
माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है। इस दिन सरस्वती पूजा का खास महत्व होता है। कहते हैं कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा विधि विधान से की जाए तो मां सरस्वती की कृपा सदैव बनी रहती हैं।

बसंत पंचमी एक ऐसा पर्व है। जिसमें लोग अपने आसपास कई तरह के बदलावों को देखते हैं। सरसों के पीले फूल वातावरण को खूबसूरत बना देते हैं, तो वहीं शरद ऋतु के बाद बसंत ऋतु का आगमन बदलते मौसम का भी इशारा देता है। इस दिन का काफी महत्व है। बसंत पंचमी के दिन विद्यादायिनी मां सरस्वती का पूजन किया जाता है।
कहते हैं कि मां सरस्वती की ही कृपा से व्यक्ति बोलता है और बुद्धिमान होता है। इस बार बसंत पंचमी का पर्व दो दिन मनाया जाएगा। कई लोग 2 फरवरी को बसंत पंचमी मना रहे हैं, तो कुछ लोग 3 फरवरी को भी बसंत पंचमी मना रहे हैं। माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है। इस दिन सरस्वती पूजा का खास महत्व होता है। कहते हैं कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा विधि विधान से की जाए तो मां सरस्वती की कृपा सदैव बनी रहती हैं।
ऐसे हुआ मां सरस्वती का प्राकट्योत्सव
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रम्हा जी जब सृष्टि में घूम रहे थे, तो उन्होंने देखा कि मेरी बनाई हुई सृष्टि में जीवन तो हैं, लेकिन सब शांत हैं। कहीं भी कोई आवाज नहीं है। तभी ब्रम्हा जी ने अपने कमण्डल से जल छींटा तब एक ज्योत रूपी प्रज्जवल हुआ और मां सरस्वती प्रकट हुईं। जिससे सृष्टि में स्वर, सुर, आवाज सब कुछ आ गया। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का प्राकट्योत्सव होता है। इसलिए इस दिन मां सरस्वती के चरणों में सफेद, पीले फूल, सफेद तिल, श्रृंगार सामग्री, विद्या रूपी पुस्तकें, कलमऔर गुलाल अर्पित किया जाता है। ऐसा करने से मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनकी कृपा हम सभी पर बनी रहती है।
पीले रंग का है महत्व
बसंत ऋतु का उत्सव है बसंत पंचमी। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पीले रंग के कपड़ें पहनने चाहिए। पीला भोजन करना चाहिए। बसंत पंचमी बसंत ऋतु के आगमन का पर्व है। जिसमें ठंड कम हो जाती है और गर्मी का अहसास शुरू होता है। ऐसा कहा जाता है कि यह उत्सव प्रेम और सौंदर्य का उत्सव होता है। क्योंकि इस दिन कामदेव ने अपने पत्नी रति के साथ साधना में लीन शिव की तपस्या को भंग करने की कोशिश की थी। इसलिए पर्व को प्रेम और सौंदर्य का माना जाता है।