खुशमिजाज बनिए, बीमारी से बचना है तो खुश रहना है जरूरी
बदलती दिनचर्या और आगे निकलने की होड़ के कारण दिन प्रतिदिन लोगों में तनाव बढ़ता ही जा रहा है। नतीजतन कम उम्र में ही लोगों को विभिन्न प्रकार की बीमारियां घेर रही हैं। तनाव बढ़ने से ही लोगों में कम उम्र में हाइपर टेंशन, शुगर के साथ ही माइग्रेन जैसी बीमारियां बढ़ती जा रही है। इन सब से बचने का एक ही रास्ता है स्वयं को खुश रखना।

बदलती दिनचर्या और आगे निकलने की होड़ के कारण दिन प्रतिदिन लोगों में तनाव बढ़ता ही जा रहा है। नतीजतन कम उम्र में ही लोगों को विभिन्न प्रकार की बीमारियां घेर रही हैं। तनाव बढ़ने से ही लोगों में कम उम्र में हाइपर टेंशन, शुगर के साथ ही माइग्रेन जैसी बीमारियां बढ़ती जा रही है। इन सब से बचने का एक ही रास्ता है स्वयं को खुश रखना। अपने आसपास ऐसा खुशनुमा माहौल रखना जिससे आप हर वक्त खुश रह सकें।
बड़ा सवाल यह है कि टारगेट पूरा करने की इस दौड़ में क्या व्यक्ति खुश रह पाता है। नहीं, वर्तमान और भविष्य की चिंता में युवाओं का खुश रहना थोड़ा मुश्किल हो गया है। इसके साथ ही बैलेंस लाइफस्टाइल की जरूरत है। खुश रहने की वजह तलाशना जरूरी है। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए हर साल 20 मार्च को इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे सेलिब्रेट किया जाता है ताकि जीवन में खुशियों का महत्व समझा जा सके।
ऐसा है हैप्पीनेस डे का इतिहास
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 12 जुलाई 2012 को संकल्प 66/281 पारित कर 20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय खुशी दिवस घोषित किया। इस दिवस को मान्यता देने का उद्देश्य खुशी और कल्याण को सार्वभौमिक लक्ष्य के रूप में स्वीकार करना और सार्वजनिक नीतियों में उनकी भूमिका को रेखांकित करना था। साथ ही, यह सतत विकास, गरीबी उन्मूलन और सभी के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एक न्यायसंगत और संतुलित आर्थिक दृष्टिकोण की आवश्यकता को दर्शाता है।
इस प्रस्ताव की पहल भूटान ने की थी, जो 1970 के दशक से ही राष्ट्रीय आय की तुलना में राष्ट्रीय खुशी को अधिक महत्व देता रहा है। भूटान ने सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) के बजाय सकल राष्ट्रीय खुशी (GNH) को प्राथमिकता दी है। महासभा के 66वें सत्र के दौरान, भूटान ने "खुशी और खुशहाली: एक नए आर्थिक प्रतिमान को परिभाषित करना" विषय पर उच्च स्तरीय बैठक की भी मेजबानी की थी।
खुद की खुशी का रखें ख्याल
खुश होना एक तरह से आत्मसंतुष्टि है। जब व्यक्ति पूर्ण रूप से किसी भी परिस्थिति में आत्मसंतुष्टि महसूस करता है तो वह बेहद खुश होता है। बच्चे अपने अच्छे रिजल्ट पर खुश होते हैं। ऑफिस में बेस्ट परफॉर्मेंस पर सम्मान और प्रोत्साहन मिलने पर एक कर्मचारी खुश होता है। इसी तरह से खुश होने के अनेक कारण हो सकते हैं। हमें इन कारणों को ही तवज्जो देना होगा। एक खुश रहने वाले की उम्र ज्यादा होती है। इसका कारण है कि खुश रहने वाला व्यक्ति जल्दी बीमार नहीं होता। बेहतर होगा कि आप अपनी खुशी का ध्यान रखें और ज्यादा से ज्यादा खुश रहें।