शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का बड़ा बयान-'बहुमत जो कहेगा,अल्पमत को स्वीकार करना होगा'
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि तिरुपति की घटना हिंदुओं को जागरूक करती है कि धर्म स्थानों से सरकारों का हस्तक्षेप खत्म हो। सनातन धर्म के सभी मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त होने चाहिए, क्योंकि अगर धर्मनिरपेक्ष सरकारें धर्म स्थानों में रहेंगी तो यही परिणाम होगा।
द त्रिकाल डेस्क न्यूज (Jabalpur) तिरुपति देवस्थानम के प्रसाद में फिश आयल (Fish Oil) मिलने पर ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद शुक्रवार को भड़क उठे।जबलपुर में पत्रकारों से चर्चा के दौरान ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद (Avimukteshwaranand) ने जबलपुर (Jabalpur) में बड़ा बयान देते हुए कहा कि बहुमत जो कहेगा,अल्पमत को स्वीकार करना होगा,साथ ही उन्होंने कहा कि इस देश में गाय (Cow) की हत्या नहीं हो सकती। वहीं तिरुपति बालाजी प्रसादम में पशु चर्बी व तेल होने के पर सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने इसे सरकार की लापरवाही का नतीजा बताया।
देशभर के मंदिरों की जांच की मांग
उन्होंने कहा कि तिरुपति के प्रसाद में अपवित्र घटक मिलाना समस्त हिन्दू समुदाय के प्रति अपराध है, इस मामले में उन्होंने दोषियों को तत्काल गिरफ्तार कर कोर्ट में केस चलाने की मांग की। साथ ही उन्होंने एक बड़ी कमेटी बनाते हुए जांच कर दोषियों को कड़ा दंड देने की मांग भी की।उन्होंने देशभर में मंदिरों के प्रसाद की जांच कराने की बात भी कही।
सनातनियों की आस्था से खिलवाड़
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि यह करोड़ों सनातन धर्मावलंबियों की आस्था से खिलवाड़ है। बड़े मंदिरों से सरकारी नियंत्रण हटाया जाए। इन्हें धर्माचार्यों को सौंप दिया जाए।स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, 'हमारे अपने विश्वास है,हमारी अपनी आस्था है,हमारी अपनी परंपरा है,हम उसका निर्वहन करेंगे। अगर कोई हमारे साथ एडजस्ट कर सकता है, हम उसको भी एडजस्ट कर लेंगे। लेकिन हमारी भावना के विरुद्ध हमारे देश में रहकर कोई काम नहीं कर सकता।