कूनो के चीतों का हो रहा है ट्रांसफर, 300 किलोमीटर दूर होने वाली शिफ्टिंग में कई सुविधाएं मिलेंगी
मध्य प्रदेश में चीतों को बसाने की योजना ने नया मोड़ ले लिया है। केंद्र सरकार अब केन्या, दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना से और चीतों को लाने की योजना बना रही है।

मध्य प्रदेश में चीतों को बसाने की योजना ने नया मोड़ ले लिया है। केंद्र सरकार अब केन्या, दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना से और चीतों को लाने की योजना बना रही है। साथ ही, कुछ चीतों को कूनो नेशनल पार्क से गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित करने की अनुमति भी दी गई है। समिति ने यह सुझाव भी दिया है कि चीतों को सड़क मार्ग से ले जाते समय गर्मी और अन्य तनावपूर्ण परिस्थितियों से बचाव के उपाय किए जाएं।
गांधी सागर, कुनो नेशनल पार्क से करीब 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह निर्णय पिछले सप्ताह आयोजित एक बैठक में लिया गया। हालांकि, अभी भी यह चिंता बनी हुई है कि गांधी सागर क्षेत्र में चीतों के लिए पर्याप्त शिकार उपलब्ध है या नहीं, साथ ही वहां तेंदुए जैसे शिकारी जानवरों की मौजूदगी भी एक चुनौती मानी जा रही है। गांधी सागर को चीतों के दीर्घकालिक संरक्षण की दृष्टि से एक अहम स्थान माना जा रहा है। योजना का उद्देश्य कूनो और गांधी सागर क्षेत्र में मिलाकर 60 से 70 चीतों की आबादी तैयार करना है।
पिछले एक साल से तैयार हो रहा है गांधी सागर अभयारण्य
मध्य प्रदेश वन विभाग पिछले एक साल से गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य को चीतों के लिए अनुकूल बनाने में जुटा हुआ है। शुरुआत में योजना थी कि अफ्रीका से आने वाले चीतों को यहां बसाया जाएगा, लेकिन भारत और अफ्रीकी देशों के बीच इस संबंध में अब तक सहमति नहीं बन पाई है। पहले चरण में चार से पांच चीतों को अभयारण्य के पश्चिमी हिस्से में बनाए गए 64 वर्ग किलोमीटर के बाड़े में छोड़ा जाएगा। इस क्षेत्र से तेंदुओं को हटा दिया गया है ताकि चीतों के साथ उनका टकराव न हो। फिलहाल यह तय नहीं हुआ है कि यहां कूनो से लाए गए चीतों को रखा जाएगा या वे चीते जो अभी भी बाड़ों में हैं।
कूनो में 17 चीते खुले जंगल में
कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान में 26 चीते हैं, जिनमें से 17 खुले जंगल में विचरण कर रहे हैं, जबकि 9 अब भी बाड़ों में रखे गए हैं। गांधी सागर में शिकार की सीमित उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। समिति इस समस्या के समाधान के लिए मध्य प्रदेश के अन्य वन क्षेत्रों से चीतलों को लाने और अभयारण्य में शाकाहारी जीवों के बाड़े विकसित करने जैसे प्रयासों पर विचार कर रही है। विभाग के प्रमुख वन्यजीव संरक्षक सुभारंजन सेन के अनुसार, गांधी सागर में चिंकारा, चौसिंघा, नीलगाय और चीतल जैसे शिकार प्रजातियां मौजूद हैं, और इनकी संख्या बढ़ाने पर काम हो रहा है।
चीता परियोजना संचालन समिति की निगरानी में योजना
पूरे प्रोजेक्ट की निगरानी चीता परियोजना संचालन समिति कर रही है। हाल ही में समिति ने एक वीडियो पर चर्चा की, जिसमें एक ड्राइवर को चीता परिवार को पानी पिलाते हुए देखा गया। इस पर समिति ने नाराजगी जताई और वन विभाग को निर्देश दिया कि चीतों के साथ संपर्क के नियमों का कड़ाई से पालन हो।
चीता परियोजना का उद्देश्य और चुनौतियां
चीता परियोजना संचालन समिति की स्थापना मई 2023 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा की गई थी। इसका मुख्य कार्य परियोजना की प्रगति की निगरानी करना और परामर्श देना है। "प्रोजेक्ट चीता" की शुरुआत 2022 में हुई थी, जिसके तहत नामीबिया से 8 और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते भारत लाए गए थे और कूनो में बसाए गए थे। हालांकि, बाद में इन चीतों में से 8 की और कूनो में जन्मे 5 शावकों की मृत्यु हो गई, जिससे परियोजना को झटका लगा।