राहत का स्लैब गायब करने की साजिश

बिजली कंपनियों ने अपना चार हजार करोड़ से ज्यादा का घाटा पूरा करने के लिए नई योजना तैयार की है, जिसके तहत मिडिल क्लास को राहत देने वाला 151 युनिट से 300 युनिट वाला स्लैब ही समाप्त किया जाएगा।

Jan 6, 2025 - 16:42
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राहत का स्लैब गायब करने की साजिश
Conspiracy to make the relief slab disappear
  • बिजली कंपनियों ने नियामक आयोग के समक्ष पेश की याचिका,
  • मंजूरी मिली तो बढ़ेंगे बिजली के दाम

द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर। बिजली कंपनियों ने अपना चार हजार करोड़ से ज्यादा का घाटा पूरा करने के लिए नई योजना तैयार की है, जिसके तहत मिडिल क्लास को राहत देने वाला 151 युनिट से 300 युनिट वाला स्लैब ही समाप्त किया जाएगा। ये स्लैब खत्म होते ही तीस लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं पर महंगाई की मार पड़ेगी और उन्हें महंगी बिजली दरें चुकानी पड़ेंगी।

मांग कम, उत्पादन ज्यादा, फिर ये हाल क्यों

कंपनियों के इस प्रस्ताव पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि जब मध्यप्रदेश में मांग कम है और उत्पादन ज्यादा हो रहा है तो आखिर कंपनी को चार हजार एक सौ सात करोड़ का घाटा कैसे लग गया और बिजली के ज्यादा उत्पादन से क्या कमाई हुई और उसका हिसाब क्या है। मप्र सरप्लस पावर स्टेट है। इसके बाद भी बढ़ते खर्च और ट्रांसमिशन लॉस के कारण बिजली कंपनियां कभी फायदे में नहीं आ पाईं। कंपनियां चाहती हैं कि 2025-26 में बिजली दरों में 7.52 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की की जाए।  राज्य विद्युत नियामक आयोग में पेश की गई टैरिफ याचिका में कई ऐसे प्रावधान हैं, जो मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं के लिए आर्थिक बोझ बढ़ा सकते हैं। इधर, इन प्रस्तावों का विरोध भी जोर पकड़ रहा है। 

मिडिल क्लास की कमर कैसे टूटेगी

अभी तक मिडिल क्लास को 100 युनिट, इसके बाद 151 युनिट और फिर 300 युनिट तक की खपत पर रियायती दरों पर बिजली बिल जमा करना पड़ता है। ये अलग-अलग स्लैब बने हुये हैं। अब, जब ये स्लैब समाप्त हो जाएगा तब आम आदमी  पर भी वही दरें लागू होंगी,जो वर्तमान में 500 युनिट वाले ग्राहक पर लागू हो रही हैं। मध्यम वर्ग के मासिक बजट पर करारी मार पड़ेगी।

विद्युत पर्याप्त,कुप्रबंधन है वजह

इधर, बिजली के जानकारों का कहना है कि बिजली कंपनियों के कुप्रबंधन के कारण  ये नौबत आ गयी है कि पर्याप्त बिजली होने के बाद भी घाटे की स्थिति है। बरगी बांध से 50 पैसे प्रति युनिट, रिलायंस पॉवर से 1.60 रुपए प्रति युनिट और इंदिरा सागर व सरदार सरोवर बांध से भी बेहद कम दरों पर बिजली मिलती है। इसके बाद भी कंपनियां आम उपभोक्ता पर बोझ डालने पर आमादा है। माना जा रहा है कि  प्रदेश में 2023 में विधानसभा और 2024 में लोकसभा के चुनाव थे इसलिए बिजली के दान नहीं बढ़ाए गये, परंतु 2025 में कोई चुनाव नहीं है इसलिए कंपनियां घाटे का रोना रोकर दाम बढ़ाना चाह रही हैं।

Matloob Ansari मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से ताल्लुक, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से पत्रकारिता की डिग्री बीजेसी (बैचलर ऑफ जर्नलिज्म) के बाद स्थानीय दैनिक अखबारों के साथ करियर की शुरुआत की। कई रीजनल, लोकल न्यूज चैनलों के बाद जागरण ग्रुप के नईदुनिया जबलपुर पहुंचे। इसके बाद अग्निबाण जबलपुर में बतौर समाचार सम्पादक कार्य किया। वर्तमान में द त्रिकाल डिजीटल मीडिया में बतौर समाचार सम्पादक सेवाएं जारी हैं।