हजारों की नौकरी करने वालों के खातों में पहुंचे करोड़ों
म्यूल बैंक खातों के जरिए करोड़ों के अवैध ट्रांजेक्शन को अंजाम देने वाले गिरोह के आधा दर्जन से ज्यादा सदस्यों को जबलपुर क्राइम ब्रांच पुलिस ने सतना से दबोचा है।

- म्यूल खातों से मनी लॉड्रिंग का खुलासा,
- जबलपुर क्राइम पुलिस ने सतना से गिरोह के सदस्यों को दबोचा,
- हैदराबाद में भी दबिश
द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर। म्यूल बैंक खातों के जरिए करोड़ों के अवैध ट्रांजेक्शन को अंजाम देने वाले गिरोह के आधा दर्जन से ज्यादा सदस्यों को जबलपुर क्राइम ब्रांच पुलिस ने सतना से दबोचा है। इस मामले में अभी तक करीब तीन करोड़ रुपये से ज्यादा का हेरफेर सामने आया है। हालाकि, पुलिस अभी इस मामले में चुप्पी साधे हुये हैं। इस कार्रवाई में स्टेट साइबर पुलिस के जबलपुर स्थित जोनल कार्यालय के अमले व रीवा पुलिस की भूमिका भी अहम रही। साइबर फ्रॉड के जरिए मनी लांड्रिग के आरोपियों को उठाने की कार्रवाई सुबह 4 बजे से प्रारंभ हुई,जो लगभग 10 बजे तक चली। पुलिस अब उस सोर्स को पकड़ने में जुटी है,जहां से पैसे का लेन-देन किया जाता था।
गार्ड के खाते में सवा करोड़
मामले का खुलासा बिरला यार्ड में काम करने वाले गार्डों के जरिए हुआ था। इन गार्डों से इंडसइंड बैंक, यूनियन बैंक, कोटक महिन्द्रा बैंक के खाते खुलवाए गए थे। जब एक गार्ड ने अपने खाते की जानकारी ली और उसे पता चला कि सवा करोड़ रुपए के लगभग उसके खाते में आए और निकाल लिए गए तब उसने मामले की रिपोर्ट साइबर पुलिस को दर्ज कराई थी। जिसकी पड़ताल के बाद यह मामला उजागर हुआ। जानकारी के अनुसार, सरकारी बंगले में बतौर माली काम करने वाले के खाते में भी ऐसा ही ट्रांजेक्शन हुआ है। इसके अलावा अन्य खातेदारों का खुलासा जल्दी होगा।
सुबह-सुबह टीम ने दी दबिश
सूत्रों के अनुसार करोड़ों रुपए की इस ठगी के मामले में ज्यादातर आरोपी सतना के नजीराबाद और इससे लगे मोहल्लों से उठाए गए हैं। जबलपुर साइबर पुलिस की टीम ने सबसे पहली दबिश सगील अख्तर उर्फ साहिल के नजीराबाद स्थित घर में दी। पूछताछ में पता चला कि इसके खाते से 1 करोड़ 9 लाख रुपए का ट्रांजेक्शन किया गया था। इसके बाद नजीराबाद बिल्लू बाबा की गली के पास रहने वाले अंजर हुसैन के घर से उसे उठाया गया। यह निजी विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहा है और दिखाने को बीमा का कारोबार करता है। बरकाती मस्जिद के पीछे रहने वाले साजिद खान, अरमान, आशिफ को भी उठाया गया है।
उमरी मोहल्ले से संदीप को उठाया
भोपाल साइबर पुलिस की एक टीम पन्ना नाका स्थित उमरी मोहल्ले पहुंची। सुबह लगभग 5 बजे राजू गौतम के मकान में किराए से रहने वाले संदीप चतुर्वेदी के यहां पहुंची। संदीप यहां अपनी मां और बहन के साथ रहता है। टीम ने यहां बैंक खाते, पास बुक और अन्य दस्तावेज भी तलाशे और उन्हें अपने कब्जे में लिया। इसके साथ ही मकान मालिक के घर पर लगे सीसीटीवी का डीवीआर भी जब्त की। टीम ने तुलसी नगर से शशांक अग्रवाल उर्फ ईशू अग्रवाल,अंकित कुशवाहा को उठाया है।
इनके अलावा, सुमित शिवानी पिता श्रीचंद निवासी पंजाबी मोहल्ला, टिंकल गर्ग उर्फ स्नेहिल निवासी पंजाबी मोहल्ला को भी पुलिस अपने साथ ले गई है। तेलंगाना से दबोचे गये साजिद के पास से कई संदिग्ध दस्तावेज और एक डायरी मिली। इस डायरी में खाताधारकों के नंबर, नाम और विवरण था। इसमें ट्रांजेक्शन की राशि का हिसाब-किताब भी था। इसके आधार पर कुछ अन्य आरोपियों की पहचान की गई। इसके बाद सतना में दबिश दी गई। बताया जा रहा है कि इस मामले में दो युवतियों को पूछताछ के लिए पकड़ा गया है। आरोपियों के कब्जे से उनके मोबाइल, बैंक के दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
अर्सलान हो गया अंडरग्राउंड
इस मामले में वॉंटेड अर्सलान भूमिगत हो गया है। साइबर फ्राड के मामले में जब दबिश दी गयी थी तब इसका नाम सामने आ रहा था। यह मैहर और सतना में रह कर साइबर अपराध को अंजाम दे रहा था। इसका काम फर्जी खाते खुलवाना और उनके एटीएम अपने कब्जे में लेना होता था।अर्सलान का काम भी यही था कि कमीशन का लालच देकर खाते खुलवाना और उन्हीं खातों से मोटी रकम का ट्रांजेक्शन कराना। पूरा काम ऑनलाइन मोड पर होता रहा है।
इन पर एफआईआर दर्ज
साइबर पुलिस ने 13 दिसंबर 2024 को अपराध क्रमांक 0353/2024 में के तहत अपराध दर्ज किया है। इस प्रकरण में अमित निगम, संदीप चतुर्वेदी, अंजर हुसैन, साजिद खान, शशांक अग्रवाल मोनू, अर्सलान, अनुराग कुशवाहा, चंचल विश्वकर्मा, सगील अख्तर, स्नेहिल गर्ग, अंकित कुशवाहा, अमित कुशवाहा, सुमित शिवानी, मो. मसूद, अमितेश कुंडे, रितिक श्रीवास को आरोपी बनाया गया है। बताया गया है कि इस फर्जीवाड़े दो मास्टर माइंड और हैं, जिनका सुराग अभी पुलिस नहीं लगा पाई है।
ऐसे शुरु हुआ ये काला खेल
इस काले खेल की शुरुआत दिसंबर 2023 से हुई। बिरला सीमेंट यार्ड में कार्यरत सुरक्षा गार्डों से अमित निगम और संदीप चतुर्वेदी ने खुद को इंडस इंड बैंक का एजेंट बताते हुए खाता खोलने का ऑफर दिया। कुछ दिनों बाद कुछ गार्ड खाते खोलने तैयार हो गये। खाते खुल गये, लेकिन बड़ी चालाकी से उनकी पासबुक और एटीएम आरोपियों ने अपने पास ही रखे और उससे पैसों का लेन-देन करते रहे। गार्ड सूरज पाण्डेय, अनिल पाण्डेय और कौशलेन्द्र द्विवेदी ने जब आधार नंबर के आधार पर खातों के बैलेंस की जांच की तो हर खाते में एक करोड़ से ज्यादा की रकम शो हो रही थी। घबराकर ये गार्ड पुलिस की शरण में पहुंचे।
क्या है म्यूल खाता
म्यूल अकाउंट ऐसे बैंक अकाउंट होते हैं, जिनका इस्तेमाल जालसाज अपराध से मिले पैसे को ठिकाने लगाने के लिए करते हैं। जालसाज अगर अपने खुद के अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं, तो केवाईसी नियमों की वजह से वे आसानी से पकड़ में आ जाते हैं। इससे बचने के लिए जालसाज किसी तीसरे व्यक्ति के बैंक अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं। इसमें तीसरे व्यक्ति को कई बार पता भी नहीं होता है कि वे अपराधियों के लिए काम कर रहे हैं। इनके खाते का इस्तेमाल मनी म्यूल की तरह होता है। म्यूल अकाउंट के लिए उन लोगों को निशाना बनाया जाता है जिन्हें बैंकिंग कारोबार के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है साथ ही उन्हें साइबर फ्राड की भी जानकारी नहीं होती है। इनमें से ज्यादातर श्रमिक वर्ग के लोग, अनपढ़, देहात के लोग या गरीब वर्ग के लोग होते हैं जो आसानी से कुछ पैसों की लालच में झांसे में आ जाते हैं।