Data Protection Bill: 18 से कम है उम्र तो अभिभावकों की सहमति से बना सकते हैं सोशल अकाउंट

संसद द्वारा डेटा संरक्षण अधिनियम कानून पारित होने के करीब 16 माह बाद सरकार द्वारा ड्राफ्ट तैयार किया गया है।

Jan 4, 2025 - 16:35
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Data Protection Bill: 18 से कम है उम्र तो अभिभावकों की सहमति से बना सकते हैं सोशल अकाउंट
Data Protection Bill: If you are below 18 years of age you can create a social account with the consent of your parents


संसद द्वारा डेटा संरक्षण अधिनियम कानून पारित होने के करीब 16 माह बाद सरकार द्वारा ड्राफ्ट तैयार किया गया है।  मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने एक नोटिफिकेशन जारी कर बताया कि लोग Mygov.in पर जाकर इस ड्राफ्ट पर अपनी आपत्तियां और सुझाव प्रस्तुत कर सकते हैं। 18 फरवरी से इन आपत्तियों और सुझावों पर समीक्षा की जाएगी।

जिसमें सबसे अहम निर्णय यह लिया गया है कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे अभिभावकों की सहमति के बिना सोशल मीडिया यानी वर्चुअल दुनिया में कदम नहीं रख सकेंगे। सोशल मीडिया कंपनी को अकाउंट शुरू होने से पहले ही यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि अभिभावकों ने बच्चों को इसकी सहमति दी है या नहीं। मंजूरी देने वालों की पहचान व उम्र की पुष्टि सुनिश्चित करना अनिवार्य है।  

ये हैं ड्राफ्ट से जुड़ी प्रमुख बातें 

-पर्सनल डेटा एकत्र करने और उनका उपयोग करने वाली कंपनियों को एक्ट में फिड्युशरी नाम दिया गया है। 
- जो भी बच्चा सोशल अकाउंट बना रहा है। वह किसकी सहमति से इसे बना रहा है। कंपनी को इस बात की पुष्टि करना अनिवार्य है। जो इस अकाउंट को बना रहा है वह व्यस्क है या नहीं। यानी बच्चे के अभिभावक की पहचान करना है जरूरी। 
- ई-कॉमर्स, सोशल मीडिया, गेमिंग प्लेटफॉर्म में डेटा के लिए जिम्मेदार कंपनियों को फिड्युशरी की श्रेणी में रखा गया है।

नियम लागू होने पर यूजर्स को मिलेंगे ये अधिकार


- आप जब चाहें डेटा तक पहुंच सकते हैं। उसे समय-समय पर अपडेट कर सकते हैं। 
- बच्चों के डेटा को अभिभावकों की मंजूरी के बिना प्रोसेसिंग में नहीं डाला जा सकता। 
- डेटा मालिक डेटा प्रोसेसिंग के लिए दी गई सहमति को वापस ले सकते हैं और डेटा को भी हटवा सकते हैं। 
- सभी सहमतियों का रिकॉर्ड मशीन से पढ़ सकने वाले फॉर्मेट में रखा जाएगा। 
- कंपनी द्वारा शिकायत का निराकरण नहीं किया गया, तो इसकी सुनवाई ऊपर से हो सके। 
- निजी डेटा का उल्लंघन होने पर कंपनी को सूचित करना होगा। 

कंपनियां इन बातों का रखेंगी ध्यान 


- कंपनियों को डेटा प्रोसेसिंग से जुड़ी छोटी-बड़ी सभी जानकारी यूजर्स को देना होगा। 
- डेटा प्रोसेसिंग में निजी डेटा संरक्षण नियमों का उल्लंघन न हो इसका ध्यान कंपनी को रखना होगा। 
- डेटा प्रोसेसिंग की सभी कैटेगिरीज को बताना होगा। इसके साथ ही इसके मकसद को भी बताना होगा। 

डेटा को देश से बाहर ले जाना है वर्जित 


कंपनियां नागरिकों का व्यक्तिगत डेटा भारत से बाहर नहीं भेज सकेंगी। केवल कुछ कानूनी रूप से स्वीकार्य मामलों में ही डेटा को देश से बाहर ले जाने की अनुमति होगी। यह डेटा पर लगाए गए प्रतिबंध केंद्र की डेटा लोकलाइजेशन नीति के अनुरूप हैं।