विद्युत नियामक आयोग की सुनवाई में आंकड़ों की बाजीगरी उजागर, स्मार्ट मीटर पर भी उठे सवाल

बिजली कंपनी जिस घाटे का रोना रोकर विद्युत के दाम बढ़ाना चाह रही है,वो घाटा कंपनी की ही देन है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस नुकसान की पूर्ति पब्लिक के पैसे से क्यों की जाए।

Feb 11, 2025 - 16:29
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विद्युत नियामक आयोग की सुनवाई में आंकड़ों की बाजीगरी उजागर, स्मार्ट मीटर पर भी उठे सवाल
Data manipulation exposed in the hearing of Electricity Regulatory Commission, questions raised on smart meters too

द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर। बिजली कंपनी जिस घाटे का रोना रोकर विद्युत के दाम बढ़ाना चाह रही है,वो घाटा कंपनी की ही देन है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस नुकसान की पूर्ति पब्लिक के पैसे से क्यों की जाए। विद्युत नियामक आयोग की सुनवाई में ना केवल कंपनी के आंकड़ों से पर्दा उठाया गया,बल्कि स्मार्ट मीटर को लेकर कई सवाल खड़े किए गये। बिजली मामलों के जानकार राजेंद्र अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान कंपनी के प्रस्ताव को एकतरफा साबित किया।

ऐसा है आंकड़ों का खेल

श्री अग्रवाल के अनुसार, बिजली कंपनियों को अपना कुल 35 सौ करोड़ का घाटा स्वीकार करना चाहिए,जबकि कंपनियों ने केवल 15 सौ करोड़ का घाटा ही स्वीकार किया है। श्री अग्रवाल ने आयोग के समक्ष तथ्य प्रस्तुत किए कि वर्ष 2021-22 में पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को 27.4 प्रतिशत,2022-23 में 27.39 प्रतिशत एवं 2023-24 में 28.04 प्रतिशत का लाइन लॉस(वितरण हानि हुई है) हुआ है। जनता की गाढ़ी कमाई से मोटी रकम वितरण हानि रोकने के लिए खर्च की जाती है,लेकिन साल-दर-साल लाइन लॉसबढ़ता ही जा रहा है। आयोग ने लाइन लॉस की सीमा 15 प्रतिशत तय कर रखी है। सवाल उठाया गया कि इस विसंगति की जिम्मेदारी किस पर डाली जानी चाहिए।

स्मार्ट मीटर:साढ़े सात साल तक भरनी होगी ईएमआई

आयोग को बताया गया कि 7 हजार रुपये कीमत वाले स्मार्ट मीटर के लिए कंपनियां उपभोक्ताओं से किश्तों में 25 हजार 8 सौ रुपये वसूल करेंगी। उपभोक्ताओं को इस अवधि में तीन गुनी से ज्यादा चपत लगेगी। श्री अग्रवाल ने आंकड़ेवार जानकारी दी कि स्मार्ट मीटर लगाने के साथ ही उपभोक्ता को 17 सौ 70 रुपये का भुगतान मीटर लगाने वाली एजेंसी को देने होंगे। इसके बाद अगले 90 मासिक बिलों में 14 हजार 3 सौ 10 रुपये उपभोक्ताओं से वसूले जाएंगे। इसी अवधि में उपभोक्ताओं को मीटर के न्यूनतम रखरखाव,सुधार,निगरानी व डेटा भेजने का शुल्क के लिए 9 हजार रुपये चुकाने होंगे। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि मीटर लगने के बाद अगले साढ़े सात साल तक मासिक बिल में स्मार्ट मीटर की राशि वसूली जाती रहेगी।

Matloob Ansari मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से ताल्लुक, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से पत्रकारिता की डिग्री बीजेसी (बैचलर ऑफ जर्नलिज्म) के बाद स्थानीय दैनिक अखबारों के साथ करियर की शुरुआत की। कई रीजनल, लोकल न्यूज चैनलों के बाद जागरण ग्रुप के नईदुनिया जबलपुर पहुंचे। इसके बाद अग्निबाण जबलपुर में बतौर समाचार सम्पादक कार्य किया। वर्तमान में द त्रिकाल डिजीटल मीडिया में बतौर समाचार सम्पादक सेवाएं जारी हैं।