छिंदवाड़ा: उपसरपंच ने आदिवासी युवती से की शादी, 10 गांवों के सरपंचों ने थमा दिया फरमान

इसे प्यार कहें या फिर सामाजिक परंपराओं के खिलाफ एक साहसिक कदम, हर्रई ब्लॉक के सालढाना गांव के उपसरपंच उरदलाल यादव ने आदिवासी युवती पंचवती उईके से कोर्ट मैरिज कर ली।

Apr 16, 2025 - 13:08
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छिंदवाड़ा: उपसरपंच ने आदिवासी युवती से की शादी, 10 गांवों के सरपंचों ने थमा दिया फरमान
Deputy Sarpanch marries tribal girl Sarpanchs of 10 villages issue order


 
इसे प्यार कहें या फिर सामाजिक परंपराओं के खिलाफ एक साहसिक कदम, हर्रई ब्लॉक के सालढाना गांव के उपसरपंच उरदलाल यादव ने आदिवासी युवती पंचवती उईके से कोर्ट मैरिज कर ली। इस फैसले से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। समाज के स्वयंभू ठेकेदारों को यह रिश्ता इतना खटक गया कि दस गांवों के सरपंचों ने एक आपात पंचायत बुलाई और एक तरह का 'जनादेश' जारी कर दिया—उरदलाल को ₹1.30 लाख जुर्माना भरने का फरमान सुनाया गया। अन्यथा, उसे समाज से बाहर कर दिए जाने की धमकी दी गई।

पंचायत बनी 'न्याय की अदालत'

यह मामला सितंबर 2024 का है, जब सालढाना, चुड़ी बाजवा, काराघाट, करेली, मुरकाखेड़ा, चौरासी और आंचलकुंड सहित 10 गांवों के सरपंचों ने मिलकर एक संयुक्त पंचायत बुलाई। इस पंचायत में छिंदवाड़ा जिले के उपसरपंच पर आरोप लगाया गया कि उसने एक आदिवासी युवती से विवाह कर सामाजिक नियमों का उल्लंघन किया है। पंचायत ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि यदि उपसरपंच ₹1.30 लाख का जुर्माना नहीं चुकाता, तो उसे समाज से बाहर कर दिया जाएगा।

हर्जाना नहीं भरा – एक साल बाद भी टकराव जारी

शादी को एक साल गुजर चुका है, लेकिन उपसरपंच उरदलाल यादव ने अभी तक पंचायत द्वारा तय किया गया ₹1.30 लाख का हर्जाना नहीं चुकाया है। ताजा घटनाक्रम में, बिरजू पिता जहरलाल नामक व्यक्ति, जो खुद को 'पीड़ित' बता रहे हैं, जनसुनवाई में पहुंचे और प्रशासन से इस जुर्माने की वसूली की मांग करने लगे।

परंपरा या सामाजिक उत्पीड़न?


यह सवाल उठना लाज़िमी है—क्या यह सच में परंपरा है या फिर सामाजिक दमन का एक और चेहरा? जहां संविधान हर नागरिक को बिना किसी भेदभाव के विवाह का अधिकार देता है, वहीं कुछ पंचायतें समानांतर 'न्यायालय' बनकर व्यक्तिगत स्वतंत्रता को कुचलती नजर आती हैं। क्या प्रेम और विवाह को अब भी जातिगत और सामाजिक बंधनों में कैद रखा जा सकता है?

सरपंचों पर गिर सकती है गाज


छिंदवाड़ा प्रशासन अब इस मामले को गंभीरता से ले रहा है। सूत्रों के अनुसार, जनसुनवाई में मौजूद अधिकारियों ने जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। अगर पंचायत द्वारा लिया गया फैसला संविधान के खिलाफ पाया गया, तो शामिल सरपंचों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।

कहानी अभी खत्म नहीं हुई…


यह सिर्फ दो लोगों की शादी की बात नहीं है—यह टकराव है परंपरा और संविधान के बीच, सामाजिक सोच और व्यक्ति की आज़ादी के बीच। अब देखने वाली बात यह है कि प्रशासन कानून के पक्ष में खड़ा होता है या सामाजिक दबाव के आगे झुकता है।