नासिक कुंभ शुरू होने से पहले ही नाम को लेकर अखाड़ों के बीच मतभेद 

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के 23 मार्च को हुए दौरे के बाद, महाराष्ट्र के नासिक में 2027 में होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले की तैयारियों में तेजी आ गई है। हालांकि, इस विशाल मेले के नाम को लेकर मतभेद उभर गए हैं।

Mar 29, 2025 - 16:24
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नासिक कुंभ शुरू होने से पहले ही नाम को लेकर अखाड़ों के बीच मतभेद 
Differences between Akharas over name even before Nashik Kumbh begins

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के 23 मार्च को हुए दौरे के बाद, महाराष्ट्र के नासिक में 2027 में होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले की तैयारियों में तेजी आ गई है। हालांकि, इस विशाल मेले के नाम को लेकर मतभेद उभर गए हैं। मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान त्र्यंबकेश्वर अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने मांग की थी कि इस मेले को "त्र्यंबकेश्वर-नासिक सिंहस्थ कुंभ मेला" कहा जाए।

वहीं, नासिक नगर निगम मुख्यालय में अधिकारियों के साथ हाल ही में हुई बैठक के दौरान नासिक अखाड़ों के नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि मेले का नाम "नासिक कुंभ मेला" रखा जाए। इस पर दोनों पक्षों के बीच मतभेद उत्पन्न हो गए हैं और नामकरण को लेकर चर्चा जारी है।

नासिक अखाड़ों के साधुओं और महंतों ने यह भी मांग की है कि उन्हें राज्य सरकार द्वारा स्थापित किए जाने वाले सिंहस्थ कुंभ मेला प्राधिकरण में शामिल किया जाए। इसके अलावा, उन्होंने यह भी आग्रह किया कि कुंभ मेले के लिए 500 एकड़ से अधिक भूमि स्थायी रूप से आरक्षित की जाए, ताकि मेले की तैयारियां सुचारू रूप से हो सकें और आयोजन में कोई बाधा न आए। यह मांगें सिंहस्थ कुंभ मेला के आयोजन की सफलता और उसके उचित प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।

नासिक के जिलाधिकारी जलज शर्मा ने नाम से संबंधित मांगों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस मुद्दे से संबंधित जानकारी राज्य सरकार को सौंपी जाएगी, और सरकार के निर्देशानुसार ही निर्णय लिया जाएगा।

सिंहस्थ कुंभ मेला 14 जुलाई से 25 सितंबर 2027 के बीच गोदावरी नदी के तट पर आयोजित होगा, जो 12 साल बाद आयोजित किया जाएगा। इससे पहले, महाराष्ट्र के जल संसाधन और आपदा प्रबंधन मंत्री गिरीश महाजन ने कुंभ मेला की तैयारियों की समीक्षा के लिए त्र्यंबकेश्वर का दौरा किया। राज्य सरकार साधु-महंतों की विभिन्न मांगों को लेकर सकारात्मक रुख अपनाए हुए है।

अखाड़े के प्रतिनिधियों ने त्र्यंबकेश्वर, विशेषकर कुशावर्त क्षेत्र में संकीर्ण स्थान को देखते हुए, नर्मदा नदी के किनारे नए घाट बनाए जाने की आवश्यकता जताई। इसके साथ ही उन्होंने नए कुंडों के निर्माण और सुविधाओं में वृद्धि की भी मांग की, जिसे महाजन ने सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है।