पितृ पक्ष में घर के द्वार पर आए जानवरों का न करें अपमान
पितृ पक्ष की शुरूआत 17 सितंबर से होने जा रही है। इस दिन से ही हम सब के घरों हमारे पितरों का वास 15 दिनों के लिए होगा। यहां पर उन्हें सबसे पहले पानी दिया जाएगा। इसके साथ ही घरों में बनने वाले भोजन में पहला हिस्सा पूर्वजों के नाम होगा।
पितृ पक्ष की शुरूआत 17 सितंबर से होने जा रही है। इस दिन से ही हम सब के घरों हमारे पितरों का वास 15 दिनों के लिए होगा। यहां पर उन्हें सबसे पहले पानी दिया जाएगा। इसके साथ ही घरों में बनने वाले भोजन में पहला हिस्सा पूर्वजों के नाम होगा। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और हमें आशीर्वाद प्रदान करते हैं। पितृ पक्ष में घर के द्वार आने वाले जानवरों को कुछ न कुछ जरूर खिलाना चाहिए। उन्हें मारना नहीं चाहिए। पितृ पक्ष में कौआ का महत्व होता है। कहते है कि कौए पितरों के निमित्त होते हैं। इसलिए श्राद्ध के समय कौओं को खाना खिलाना चाहिए। यदि कौए नहीं मिलते हैं, तब उस खाने को गाय और कुत्तों को खिलाना चाहिए।
घर पर पितरों को करें आमंत्रित
पितृ पक्ष के पहले ही दिन नदीं, तालाब के घाट पर जाकर अपने पितरों को जल देना चाहिए और उन्हें अपने घर लाने के लिए आमंत्रित 15 दिनों तक उन्हें अपने घर की चौखट पर आटे और चावल से रखकर फूल चढ़ाकर उन्हें अपने घर में जगह देना चाहिए। इन 15 दिनों के दौरान पितर हमारे घर पर रहते हैं और हमारे ऊपर उनकी कृपा बनी रहती है। इन दिनों पर भगवान की पूजा नहीं करना चाहिए। नियम पूर्वक घर पर बनने वाले भोजन को सबसे पहले पितरों के नाम निकालना चाहिए। सुबह उठकर नहाने के बाद घर के बड़े बेटे या छोटे बेटे को पितरों को जल अर्पित करना चाहिए।
पिंडदान के लिए यही होता है उपयुक्त समय
पितृ पक्ष के 15 दिनों में ही हमें तर्पण करना चाहिए। 15 दिनों की अवधि में हर एक दिन किसी न किसी पितर की तिथि होती है। हमें जिसका भी तर्पण करना है। उसकी तिथि को ध्यान में रखकर गया जी जाकर पिंड दान करना चाहिए। पुरुषों को गया में और महिलाओं का पिंड दान बद्रीनाथ में किया जाता है। कहा जाता है कि सारे तीर्थ बार-बार गंगा सागर एक बार। गया ही एक ऐसी जगह है जहां पर पितरों का मोक्ष निर्धारित होता है।