एकादशी व्रत:भगवान विष्णु को समर्पित...जानिए व्रत के नियम 

एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत के माध्यम से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Nov 19, 2024 - 14:42
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एकादशी व्रत:भगवान विष्णु को समर्पित...जानिए व्रत के नियम 
Ekadashi fast Dedicated to Lord Vishnu know the rules of the fast

एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत के माध्यम से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। हर माह में दो एकादशी व्रत होते हैं, जो हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आते हैं। सबसे पहली एकादशी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की होती है, जिसे पापमोचिनी एकादशी कहा जाता है, और वर्ष की आखिरी एकादशी फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी होती है।

एकादशी व्रत के पालन के लिए कुछ विशेष नियम होते हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य है, ताकि व्रत को सही तरीके से पूरा किया जा सके। अगर आप एकादशी व्रत करने का विचार कर रहे हैं, तो आपको उपयुक्त दिन और इसके नियमों के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। एकादशी व्रत की शुरुआत करने के लिए सबसे उत्तम दिन मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना एकादशी होती है, जिसे देवी एकादशी का दिन भी माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी एकादशी मुर राक्षस का वध करने के लिए प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन को व्रत शुरू करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है।

कब है उत्पन्ना एकादशी-

नवंबर में मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी का व्रत 26 नवंबर 2024 को रखा जाएगा। वहीं 27 नवंबर को व्रत का पारण किया जाएगा, जिसका समय दोपहर 01:12 बजे से 03:18 बजे तक रहेगा।

एकादशी व्रत के नियम

-एकादशी व्रत से एक दिन पहले और एक दिन बाद तक केवल सात्विक आहार ग्रहण करें और इस दौरान तामसिक भोजन से बचें।
-इस व्रत में मसूर दाल, चावल, बैंगन, गाजर, शलगम, पालक, गोभी आदि का सेवन निषेध है।
-एकादशी व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक होता है और किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहना चाहिए।
-व्रत के दिन 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें और पूजा करते समय एकादशी व्रत कथा का श्रवण करें।
-पूजा में भगवान विष्णु को पंचामृत, तुलसी के पत्ते अर्पित करें और मौसमी फल, मिठाइयाँ आदि का भोग अर्पित करें। इस दौरान विष्णु सहस्रनाम और विष्णु चालीसा का पाठ करें और अंत में विष्णु जी की आरती करें।
-एकादशी व्रत के पारण के दिन, स्नान करने के बाद अपनी सामर्थ्यानुसार अन्न, वस्त्र, फल आदि का दान करें।
-व्रत करने वाले को असत्य बोलने, कटु शब्दों का प्रयोग, और काम, क्रोध, लोभ जैसी नकारात्मक भावनाओं से दूर रहना चाहिए।

पूरे साल के एकादशी व्रत के नाम

एक साल में कुल 24 एकादशी व्रत होते हैं। वहीं अधिकमास लगने पर यह संख्या बढ़कर 26 तक हो सकती है। इसमें उत्पन्ना एकादशी, मोक्षदा एकादशी, सफला एकादशी, पौष पुत्रदा एकादशी, षटतिला एकादशी, जया एकादशी, विजया एकादशी, आमलकी एकादशी, पापमोचिनी एकादशी, कामदा एकादशी, बरूथिनी एकादशी, मोहिनी एकादशी, अपरा एकादशी, निर्जला एकादशी, योगिनी एकादशी, देवशयनी एकादशी, कामिका एकादशी, श्रावण पुत्रदा एकादशी,  अजा एकादशी, परिवर्तिनी एकादशी, इंदिरा एकादशी, पापांकुशा एकादशी, रमा एकादशी, देव उठनी एकादशी शामिल है।