विद्युत नियामक आयोग बना मजाक, सुनवाई सिर्फ औपचारिकता
बिजली कंपनी द्वारा ताजा वित्त वर्ष के लिए बिजली के दाम 7.52 रुपये औसत की दर से बढ़ाने का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग के समक्ष रखा।

नागरिक उपभोक्ता मंच ने उठाए सवाल
द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर। बिजली कंपनी द्वारा ताजा वित्त वर्ष के लिए बिजली के दाम 7.52 रुपये औसत की दर से बढ़ाने का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग के समक्ष रखा। आयोग ने कंपनी के प्रस्ताव पर आपत्तियां आमंत्रित की और अब 11 फरवरी से आपत्तियों की सुनवाई प्रस्तावित है। लेकिन जिस आयोग को सुनवाई करनी है,उसके पास अपना अध्यक्ष तक नहीं है। ऐसे हालात में माना जा रहा है कि सुनवाई महज मजाक बनकर रह गयी है और उपभोक्ताओं को ठगने के लिए ये खेल खेला जा रहा है। सुनवाई के लिए सिर्फ तीन दिन ही शेष हैं।
पहली बार बने निराशाजनक हालात
वर्ष 1998 में हुई विद्युत नियामक आयोग के स्थापना के बाद ऐसी स्थिति पिछले 27 वर्षों में पहली बार हुई है। आयोग के अध्यक्ष पद के लिए पैनल के चयन के लिये गठित न्यायामूर्ति रूपेश वार्ष्णेय की समिति ने 3 नामों का पैनल सरकार को सौंपा है, लेकिन इन नामों पर शासन ने आज तक निर्णय नहीं लिया है। 31जनवरी को सेवानिवृत्त हुए अपर मुख्य सचिव एसएन मिश्रा को अध्यक्ष बनाने पर भी चर्चा की गई है, लेकिन इसके बाद अब एक सप्ताह बीत गया, फिर भी निर्णय नहीं हुआ है।
सरकार का रवैया गैरगंभीर
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे ने बताया कि जनसुनवाई एक औपचारिकता बन गई है। बिजली दर निर्धारण में कानून के तहत् उसकी अनिवार्यता है, फिर भी शासन गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि अब ये स्पष्ट हो गया है कि बिजली के दाम बढ़ना तय किया जा चुका है अन्यथा सुनवाई को लेकर लचर रवैया नहीं अपनाया गया होता।