बिजली कंपनी को हिमाचल भवन नीलामी की मिली अनुमति
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को अटैच कर दिया है।
हिमाचल हाईकोर्ट का आदेश, ताकि 64 करोड़ बकाया वसूली हो सके
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को अटैच कर दिया है। अदालत ने बिजली कंपनी को हिमाचल भवन की नीलामी करने की छूट दे दी है, ताकि वह अपनी 64 करोड़ रुपये की रकम वसूल कर सके। यह रकम अब ब्याज सहित 150 करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुकी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने पारित किया, जिससे प्रदेश सरकार के हाथ-पांव फूल गए हैं और सचिवालय में हलचल मच गई है।
सरकार के लिए निर्णय गंभीर संकट का संकेत-
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार के लिए यह निर्णय एक गंभीर संकट को दर्शाता है, क्योंकि अदालत ने बिजली कंपनी को अपनी राशि वसूलने के लिए हिमाचल भवन को नीलाम करने का आदेश दिया है, और साथ ही प्रारंभिक प्रीमियम के मामले में पार्षदों और अधिकारियों की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाए हैं। अदालत ने आदेश दिया है कि प्रधान सचिव बिजली इस मामले की फैक्ट फाइंडिंग जांच करें और यह पता लगाएं कि कौन से अधिकारी जिम्मेदार थे जिन्होंने वक्त पर रकम नहीं जमा की। अदालत ने यह भी कहा कि ब्याज की रकम उन जिम्मेदार अधिकारियों से वसूली जाए। इस मामले पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि उन्होंने अभी तक हाईकोर्ट का आदेश नहीं पढ़ा है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अग्रिम प्रीमियम एक नीति के तहत लिया गया था, जिसे 2006 में ऊर्जा नीति के दौरान तैयार किया गया था।
13 जनवरी 2023 को आया था आदेश-
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस विषय पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हाईकोर्ट का आदेश 13 जनवरी 2023 को जारी हुआ था, लेकिन सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। यह हिमाचल प्रदेश के लिए बेहद गंभीर मुद्दा है और यदि इस तरह की स्थितियां जारी रहीं, तो हिमाचल भवन की नीलामी हो सकती है। उन्होंने कहा कि सेली हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट से संबंधित 64 करोड़ रुपये के प्रीमियम के भुगतान में देरी से अब यह रकम बढ़कर लगभग 150 करोड़ रुपये हो गई है।
अगली सुनवाई 6 दिसंबर को-
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि 15 दिनों के भीतर फैक्ट फाइंडिंग जांच पूरी की जाए और मामले की अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी। अदालत ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता को चिन्हित करते हुए 64 करोड़ रुपये की रकम के भुगतान को लेकर सरकार को चेतावनी दी है।
जानिए पूरा मामला-
यह मामला सेली हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट से संबंधित है, जिसे मोजर बीयर कंपनी को लाहुल स्पीति में चिनाब नदी पर 400 मेगावाट के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए दिया गया था। हालांकि, परियोजना का कार्यान्वयन नहीं हो पाया और यह मामला आर्बिट्रेशन में पहुंच गया, जहां कंपनी के पक्ष में निर्णय दिया गया। आर्बिट्रेटर ने 64 करोड़ रुपये के प्रीमियम के भुगतान का आदेश दिया था, लेकिन सरकार ने समय पर यह राशि जमा नहीं की, जिसके परिणामस्वरूप ब्याज सहित यह राशि लगभग 150 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। अदालत ने पहले ही सरकार को आदेश दिया था कि वह रकम जमा करे, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज किया। इस कारण हिमाचल भवन को अटैच करने का आदेश दिया गया और अब नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।