कॉपी किताबों और स्टेशनरी की खरीदी कर रहे ग्राहकों में उत्साह 

देर से ही सही पर पैरेंट्स के चेहरों पर खुशी तो आई। कॉपी, किताब, स्कूल ड्रेस, बैग के साथ ही स्टेशनरी का सामान उचित मूल्यों में पाकर अभिभावक बेहद खुश हो रहे हैं।

Mar 29, 2025 - 17:17
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कॉपी किताबों और स्टेशनरी की खरीदी कर रहे ग्राहकों में उत्साह 
Enthusiasm among customers buying copy books and stationery
कॉपी किताबों और स्टेशनरी की खरीदी कर रहे ग्राहकों में उत्साह 

देर से ही सही पर पैरेंट्स के चेहरों पर खुशी तो आई। कॉपी, किताब, स्कूल ड्रेस, बैग के साथ ही स्टेशनरी का सामान उचित मूल्यों में पाकर अभिभावक बेहद खुश हो रहे हैं। जहां पहले अभिभावक नए सत्र शुरू होने पर इन बातों से परेशान नजर आते थे कि हजारों रुपए में किताबें और कॉपी आएंगी। महंगी ड्रेस, बैग के बढ़ते दामों को देखकर अभिभावकों की जेब खाली हो जाती थी, लेकिन शहर के बीचों बीच गोलबाजार में लगे पुस्तक मेले में आने वाले अभिभावक संतुष्ट नजर आ रहे हैं। जिला प्रशासन की पुस्तक मेला आयोजित करने की पहल रंग ला रही है। यहां पर अभिभावकों को कई विकल्प एक ही छत के नीचे उपलब्ध हो रहे हैं। जिससे उन्हें खरीददारी करने में आसानी हो रही है। 

एनसीईआरटी की किताबों ने पैरेंट्स को किया खुश 

पुस्तक मेले में आने वाली सावित्रि राजपूत ने बताया कि उनके घर में तीन बच्चे हैं। जो जॉय सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ते हैं। इन्होंने बताया कि पहले बच्चों की किताबें इतनी महंगी होती थी कि अप्रैल का बजट ही बिगड़ जाता था। इस बार स्कूल ने सभी क्लास के लिए एनसीईआरटी की किताबें प्रिफर की है। जिससे काफी सहूलियत हुई है। कक्षा सातवीं के कॉपी, किताब और स्टेशनरी सब कुछ मात्र 950 रुपए में आ गई हैं। कक्षा चौथी की 700 रुपए में और कक्षा तीसरी की 650 रुपए। पहले प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबें लगती थीं। जिनकी कीमत काफी ज्यादा होती थी और पूरा सेट कॉपी के साथ लगभग 7 से 8 हजार रुपए में आ पाता था। 

एक ही जगह पर उपलब्ध हो रहा स्कूली सामान 

स्कूल खुलने से पहले जहां घंटों किताब और कॉपी लेने के लिए खड़े रहना पड़ता था। स्कूल बैग, ड्रेस सभी दुकानों पर भारी भीड़ देखने को मिलती थी। लेकिन पुस्तक मेले में   तमाम दुकानें एक साथ होने से खरीददारी करना आसान हो गया है। ड्रेस भी सस्ती ही मिल रही है। जिला प्रशासन की कार्यवाही के बाद से कई स्कूलों ने तो ड्रेस भी कम कर दी हैं। सप्ताह में 6 दिन स्कूल लगता है। इसके लिए कई स्कूलों में तीन ड्रेस लगाई जाती हैं। इस बार कई स्कूलों ने एक ड्रेस कम भी कर दी है। अभिभावकों का कहना है कि धीरे-धीरे ही सही स्कूलों की मनमानी पर लगाम कसी जा रही है। आगे और भी बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।