बाबुओं के जलवे में अफसर भी फीके

एक तरफ स्कूलों में शिक्षकों को रोना रोया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ एक प्राथमिक शिक्षिका कलेक्ट्रेट में बाबूगिरी कर रही है। ये तमाशा लंबे वक्त से चल रहा है और बेहिसाब शिकायतें करने के बावजूद तस्वीर पहले जैसी निराशाजनक ही है।

Aug 23, 2024 - 16:48
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बाबुओं के जलवे में अफसर भी फीके
Even the officers looked pale in the charm of the clerks

कलेक्ट्रेट में पदस्थ थर्ड ग्रेड बाबू की अफसरगिरी, प्राथमिक स्कूल के एक शिक्षक को हिलाना हुआ मुश्किल

द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर। 

एक तरफ स्कूलों में शिक्षकों को रोना रोया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ एक प्राथमिक शिक्षिका कलेक्ट्रेट में बाबूगिरी कर रही है। ये तमाशा लंबे वक्त से चल रहा है और बेहिसाब शिकायतें करने के बावजूद तस्वीर पहले जैसी निराशाजनक ही है। कलेक्ट्रेट में पदस्थ थर्ड ग्रेड बाबू ने ऐसा चक्कर चलाया है कि मझौली विकासखंड की एक प्राथमिक शिक्षक सरोज रजक कलेक्ट्रेट में इस कदर अटैच हुई कि हिलाना मुश्किल हो गया है। जबकि इसके लिए पाटन विधायक अजय विश्नोई का एक पत्र भी जिला शिक्षा अधिकारी को पहुंचाया गया है कि शिक्षक को निर्वाचन कार्य से मुक्त कर स्कूल भेजा जाए। 

-बच्चों की पढ़ाई का बंटाधार

इस पूरे षड्यंत्र में उन बच्चों का बहुत नुकसान हो रहा है, जिन्हें सरोज द्वारा पढ़ाया जाना था। उन अफसरों पर भी सवाल उठना जायज है, जिनकी नाक के नीचे ये खेल चल रहा है। सरकारी कार्यालयों  में व्याप्त बाबू राज की ये बानगी कई बातें उजागर करने वाली है। 

-अफसरों के क्या हाल हैं

सूत्र बताते हैं कि कलेक्ट्रेट की परीक्षा शाखा में पूर्व में रहे तथा वर्तमान में मलाईदार वित्त का कार्य देख रहे बाबू को मझौले स्तर के प्रशासनिक अधिकारी भी नाराज नहीं कर पाते। इसका फायदा उठाते हुए बाबू कलेक्ट्रेट की परीक्षा सहित कई शाखाओं में अपनी मनमर्जी करते हुए कलेक्ट्रेट के बाबुओं को ही निलंबित कराने जैसी धमकी देकर उनके पद स्थापना का कार्य मनमर्जी से कराता है। ग्रामीण अंचल के कलेक्ट्रेट में संलग्न प्राथमिक शिक्षक को बाबू का प्रभार दिए जाने से लिपिक वर्ग में काफी असंतोष है, लेकिन खुलकर बोलने में वे कतराते हैं, क्योंकि बोलने पर बाबू के प्रभाव के कारण उनका ट्रांसफर ग्रामीण अंचल में हो जायेगा। इन शिक्षिका को कार्यमुक्त कर विद्यार्थियों के पढ़ाई का लाभ दिलवाने की क्षेत्रीय विधायक की मंशा पूर्ण करने में कोई अधिकारी सक्षम साबित नहीं हो पा रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी ने भी इस मुद्दे पर अपनी आंखें मूंद रखी हैं।