इंदौर के आरबीएल बैंक के टास्क मैनेजर पर जबलपुर में एफआईआर
मध्य प्रदेश के इंदौर के आरबीएल बैंक के टास्क मैनेजर पर एफआईआर होने के बाद हड़कंप मच गया है, क्योंकि ये तो तय है कि जिस तरह से जबलपुर स्मार्ट सिटी के खातों से रकम को इधर-उधर किया गया है, वो अकेले टास्क मैनेजर कुमार मयंक के बस की बात नहीं है

जबलपुर स्मार्ट सिटी के खातों से रकम इधर-उधर करने का आरोप, स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड को लगी 1.31 करोड़ की चपत
द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर।
मध्य प्रदेश के इंदौर के आरबीएल बैंक के टास्क मैनेजर पर एफआईआर होने के बाद हड़कंप मच गया है, क्योंकि ये तो तय है कि जिस तरह से जबलपुर स्मार्ट सिटी के खातों से रकम को इधर-उधर किया गया है, वो अकेले टास्क मैनेजर कुमार मयंक के बस की बात नहीं है। पुलिस को आशंका है कि इस फर्जीवाड़े में बैंक के उच्चाधिकारी भी बराबर के भागीदार हैं, लेकिन जैसे ही बात पुलिस जांच तक पहुंची तो तत्कालीन टास्क मैनेजर कुमार मयंक को मोहरा बना दिया।
-सेविंग अकाउंट कैसे हुआ करंट
जबलपुर स्मार्टसिटी प्राइवेट लिमिटेड ने सरकारी बैंक में जमा करोड़ों रुपये इंदौर के एक निजी बैंक आरबीएल में नया खाता खोल जमा किये थे। बैंक के स्टाफ ने गुपचुप जबलपुर स्मार्टसिटी के बचत खाते को चालू खाते में बदल दिया। इस खाते से अफसर मनमर्जी से पैसे निकालने लगे और अब खुलासा हुआ कि स्मार्टसिटी को एक करोड़ 31 लाख की चपत लग चुकी है। शिकायत पर मदन महल थाना पुलिस ने आरबीएल बैंक इंदौर की विजयनगर शाखा के तत्कालीन टास्क मैनेजर कुमार मयंक के विरुद्ध धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया है।
-आखिर ये राज खुला कैसे
जबलपुर स्मार्टसिटी लिमिटेड के खातों से खिलवाड़ का खुलासा तब हुआ जब राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि के 19 करोड़ के घोटाले की जांच हो रही थी। दस्तावेजों की जांच के दौरान ही जबलपुर स्मार्ट सिटी का अकाउंट भी सामने आ गया। जब इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया,तब वह आरबीएल बैंक की पिपरिया शाखा का टास्क मैनेजर था। वित्तीय अनियमितता का मामला 4 मार्च 2022 से 9 जून 2023 के बीच की अवधि का है। जबलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने 24 मार्च 2022 को आरबीएल में बचत खाता खोला था। 30 मार्च को कुमार मयंक ने 6.25 प्रतिशत ब्याज देने का वादा किया था। खाता खुलते ही उसमें 16 करोड़ 80 लाख 2 हजार 647 रुपये आरबीएल के नए खाते में स्थानांतरित किया गया। इसी वर्ष जून में अलग-अलग खाते से दो बार में 40 करोड़ रुपये आरबीएल में ट्रांसफर किए गये। जब विवरण पत्रों में अंतर पाया गया तब स्मार्ट सिटी को ब्याज में धोखे का पता चला। स्मार्ट सिटी को कुल एक करोड़ 31 लाख रुपये का नुकसान हो गया।