29 साल में पहली बार शेयर मार्केट में तबाही, लगातार पांचवे माह निफ्टी में गिरावट जारी
भारतीय शेयर बाजार में पिछले पांच महीनों से जारी गिरावट ने निवेशकों पर भरी प्रभाव पढ़ा है। यह गिरावट इतनी तेज है कि इसने पिछले 29 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया।

भारतीय शेयर बाजार में पिछले पांच महीनों से जारी गिरावट ने निवेशकों पर भरी प्रभाव पढ़ा है। यह गिरावट इतनी तेज है कि इसने पिछले 29 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली के कारण बाजार में घबराहट का माहौल बना हुआ है।
आंकड़ों के अनुसार, 2025 में अब तक विदेशी निवेशक औसतन हर दिन 2,700 करोड़ रुपये की बिकवाली कर चुके हैं। मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी 2025 में निफ्टी 5.9% गिरा, जो मार्च 2020 के बाद की दूसरी सबसे बड़ी मासिक गिरावट है। पिछले साल सितंबर में निफ्टी 26,277 के उच्चतम स्तर पर था, लेकिन अब तक यह 4,273 अंक (16%) गिर चुका है। इसी तरह, सेंसेक्स 85,978 के उच्चतम स्तर से 13,200 अंक (15%) गिर चुका है।
गिरावट की क्या है वजह:
कमजोर आर्थिक आंकड़े: 2024 की सितंबर और दिसंबर की GDP वृद्धि दर उम्मीद से कम रही, जिससे निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ।
घरेलू कंपनियों की सुस्त कमाई: दूसरी और तीसरी तिमाही में कंपनियों की आय उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी, जिससे उनके ऊंचे वैल्यूएशन को सही ठहराना मुश्किल हो गया।
वैश्विक अनिश्चितता: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ युद्ध ने वैश्विक आर्थिक विकास को लेकर चिंता बढ़ा दी।
डॉलर के मुकाबले कमजोर रुपया: विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली से रुपये पर दबाव बढ़ा और वह अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया।
विशेषज्ञों ने क्या कहा:
रचित खंडेलवाल, हेड ऑफ रिसर्च, बीएनके सिक्योरिटीज के अनुसार, ट्रंप की ओर से टैरिफ बढ़ाने की धमकी का असर भारतीय और अन्य विदेशी बाजारों पर देखा जा रहा है। हालांकि, उन्हें लगता है कि भारत को इस मौके का फायदा उठाकर अपने टैरिफ ढांचे में सुधार करना चाहिए। वह निवेशकों को लंबी अवधि के लिए ब्लू चिप स्टॉक्स में निवेश करने की सलाह देते हैं।
नागरज शेट्टी, वरिष्ठ विश्लेषक, एचडीएफसी सिक्योरिटीज के अनुसार, विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रही तो घरेलू बाजार में स्थिरता आने की संभावना कम है। उन्होंने बताया कि एफपीआई द्वारा भारतीय बाजार से निरंतर बिकवाली के कारण, बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी है।
किशोर ओतस्वाल, सीएनएन रिसर्च ने कहा कि सरकार के 2026 के लिए पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) के लक्ष्य और बजट में खपत बढ़ाने के उपायों का असर आने वाली तिमाही में देखने को मिलेगा, जिससे बाजार में राहत मिल सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की ग्रोथ स्टोरी पर विश्वास करने वाले निवेशकों के लिए यह अच्छा समय हो सकता है।
रिधम देसाई, प्रबंध निदेशक, मॉर्गन स्टेनली (भारत) ने कहा कि मौजूदा सुधारों के बावजूद भारत का इक्विटी बाजार उज्जवल स्थिति में है और यह निवेश करने के लिए एक अच्छा अवसर हो सकता है। हालांकि, मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट में बढ़े हुए मूल्यांकन को लेकर निवेशकों को चेतावनी दी जा रही है।