निजी स्कूलों को खुली सुनवाई के लिये मजबूर करना गलत:हाईकोर्ट
अधिक फीस वसूली और निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर जिला प्रशासन ने खुली सुनवाई की थी, जिसमें स्कूल संचालक और अभिभावकों को बुलाया गया था।
जिला प्रशासन को नियमानुसार पूछताछ करने दिए निर्देश,शहर के निजी स्कूलों की अपील पर हुई सुनवाई
द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर।
अधिक फीस वसूली और निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर जिला प्रशासन ने खुली सुनवाई की थी, जिसमें स्कूल संचालक और अभिभावकों को बुलाया गया था। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन की खुली सुनवाई और जनसुनवाई को अनुचित ठहराते हुए निर्देश दिए हैं कि अब जो भी कार्रवाई हो वह नियमानुसार की जाए और स्कूल प्रबंधकों से पूछताछ भी नियम के तहत ही की जाए। इस तरह से जनसुनवाई और खुली सुनवाई करना ठीक नहीं है। जबलपुर के 50 से ज्यादा निजी स्कूलों के खिलाफ अभिभावकों की शिकायत पर जिला प्रशासन ने जांच करते हुए अधिक फीस वसूली लेते पाया था। इसके बाद निजी स्कूलों को भी अपनी बात रखने के लिए खुली सुनवाई आयोजित की थी।
उचित तरीके से हो पूछताछ-
हाईकोर्ट जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की डिवीजन बेंच ने जिला प्रशासन को आदेश देते हुए कहा कि आगामी कार्रवाई नियमानुसार हो और स्कूल प्रबंधकों से उचित तरीक़े से पूछताछ की जाए। कोर्ट ने कहा कि मप्र निजी स्कूल तथा संबंधित विषयों का विनियम अधिनियम 2017 की धारा 9 की उपधारा 5 में जो प्रक्रिया निहित है, उसके अनुसार जिला कमेटी को नोटिस देने व दस्तावेज बुलाने का अधिकार है, लेकिन सार्वजनिक तौर पर प्रबंधन को जवाब देने बाध्य नहीं किया जा सकता है।
इन स्कूलों ने दायर की अपील-
जिला प्रशासन की खुली सुनवाई के खिलाफ शहर के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल, लिटिल किंगडम स्कूल, स्टेम फील्ड सहित कुछ और निजी स्कूलों की और से हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी ने 2 सितंबर 2024 को निजी स्कूलों को नोटिस जारी करते हुए खुली सुनवाई में आने की निर्देश दिए थे। इस जनसुनवाई में शिकायतकर्ता अभिभावकों के साथ-साथ अभिभावक संघ के सदस्य भी उपस्थित रहे। दलील दी गई थी ओपन सुनवाई में सभी के जवाब देने के लिए स्कूलों को बाध्य नहीं किया जा सकता, हालांकि शासन की ओर से बताया गया है की जनसुनवाई हो चुकी है ।