मध्य प्रदेश में बढ़ रहे वन अपराध, पांच साल में 2,27,995 मामले दर्ज
देश के बड़े वन क्षेत्र वाले मध्य प्रदेश में साल दर साल वन अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। जानकारों का कहना है की वन विभाग के अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण प्रदेश में वन अपराध बढ़ रहे हैं।
द त्रिकाल डेस्क।
देश के बड़े वन क्षेत्र वाले मध्य प्रदेश में साल दर साल वन अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। जानकारों का कहना है की वन विभाग के अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण प्रदेश में वन अपराध बढ़ रहे हैं। दरअसल, प्रदेश के वन क्षेत्र में घटित होने वाले वन अपराधों की विवेचना में वन मंडल के डीएफओ या टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर रुचि नहीं ले रहे हैं। इससे वन अपराध भी बढ़ रहे हैं। पांच साल में 2,27,995 वन अपराध दर्ज किए गए हैं।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में अवैध पेड़ों की कटाई से लेकर वन्य प्राणियों के शिकार तक के मामले लगतार बढ़ रहे हैं। इसके सबसे बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि वन विभाग के अधिकारी दर्ज वन अपराधों की समय पर और ठीक से विवेचना नहीं करते हैं। डीएफओ या फील्ड डायरेक्टर वन अपराध में दर्ज प्रकरणों की बिना विवेचना किए उनकी अग्रिम जांच कराने के लिए स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स (एसटीएसएफ) को पत्र लिख देते हैं। यहां तक की कुछ प्रकरणों में मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक की अनुमति के बिना ही मीडिया में भी यह प्रसारित कर दिया जाता है कि प्रकरण एसटीएसएफ को हस्तांतरित कर दिया गया है या प्रकरण में अग्रिम विवेचना एसटीएसएफ के द्वारा की जा रही है। मैदानी अधिकारियों के इस आचरण को वाइल्ड लाइफ वार्डन शुभरंजन सेन ने अनुचित माना है और निर्देश दिए हैं कि अब वाइल्ड लाइफ वार्डन की अनुमति के बाद ही एसटीएसएफ को प्रकरण ट्रांसफर किए जाएंगे। वाइल्ड लाइफ वार्डन यह तय करेंगे कि संबंधित प्रकरण एसटीएसएफ को जांच के लिए दिया जाना है या नहीं।
2021 में सबसे अधिक अपराध
वन विभाग के आकड़ों के अनुसार प्रदेश में पिछले पांच साल के दौरान 2,27,995 वन अपराध दर्ज किए गए हैं। 2020 में 56932, 2021 में 58101, 2022 में 52094, 2023 में 50180 और 2024 में 10688 मामले दर्ज किए गए हैं। मप्र में बाघ एवं अन्य वन्यप्राणियों की सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक के अधीन स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स एवं अधीनस्थ चार क्षेत्रीय इकाइयों इंदौर, जबलपुर, भोपाल तथा शिवपुरी का गठन किया गया है। फोर्स के मुख्य दायित्व, वन्यप्राणी संबंधी अवैध गतिविधियों के नियंत्रण के लिए सूचना तंत्र विकसित करना व इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए संबंधित कानून प्रवर्तन संस्थाओं के साथ समन्वय स्थापित करना निर्धारित किए गए है। फोर्स को संगठित एवं गंभीर वन्यप्राणी अपराध प्रकरणों का अन्वेषण करने का दायित्व भी सौंपा गया है। एसटीएसएफ द्वारा गंभीर एवं संगठित वन्यप्राणी अपराध गिरोह का पर्दाफाश कर इसमें लिप्त अंतरराष्ट्रीय एवं अंतरराज्यीय आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजकर सजा भी दिलाई गई है। वन अपराधों को रोकने के लिए विभाग ने निर्देश जारी किया है। नए निर्देश के बाद गंभीर वन्यप्राणी अपराध के प्रकरण एसटीएसएफ को हस्तांतरित करने की आवश्यकता प्रतीत होती है तो निर्धारित प्रारूप में जानकारी भरकर मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक को भेजनी होगी। यहां प्रकरण की गंभीरता, लिप्त गिरोह के नेटवर्क तथा एसटीएसएफ के पास पूर्व से लंबित प्रकरणों की संख्या आदि बिंदुओं को ध्यान में रखकर यह निर्णय लिया जाएगा कि उक्त प्रकरण को एसटीएसएफ को हस्तांतरित किया जाए या प्रकरण की विवेचना में सहायता की जानी है या नहीं।