जबलपुर के हैदराबाद ओमेगा अस्पताल का फर्जीवाड़ा, नाम हैदराबाद ओमेगा लेकिन बिलिंग सिटी अस्पताल के नाम से
द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में स्थित हैदराबाद ओमेगा अस्पताल का एक और हैरान कर देने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है। अस्पताल हैदराबाद ओमेगा के नाम से रहा है, लेकिन इसकी बिलिंग अभी भी पुराने यानी की सिटी अस्पताल के नाम से ही हो रही है। इस सनसनीखेज खुलासे के दस्तावेज भी हाथ लगे हैं, जिसमें साफ तौर पर दिख रहा है कि इस अस्पताल में आने वाले मरीजों का बिल सिटी अस्पताल के नाम से हो रहे हैं। जो कि सरासर नियमों के खिलाफ है।
2 महीने पहले दिया था हैदराबाद ओमेगा अस्पताल के नाम से लाइसेंस
इस मामले में सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा का कहना है कि हमने हैदराबाद ओमेगा अस्पताल के नाम से 2 महीने पहले लाइसेंस दिया था। नियम के तहत इस अस्पताल को इसी नाम से बिल बनाना चाहिए था, लेकिन इस अस्पताल में सिटी अस्पताल के नाम से बिल बन रहा है। जो नियमों के खिलाफ है। सीएमएचओ ने कहा कि उन्होंने अस्पताल के सीईओ से भी बातचीत कर उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही अस्पताल के पुराने संचालक यानी सरबजीत सिंह ओखा से भी फोन पर जानकारी ली है। सीएमएचओ की मानें तो इस मामले में अस्पताल प्रबंधन को नोटिस भेजकर पूछताछ की जाएगा कि आखिर यह घालमेल क्यों हो रहा है।
पुराने अस्पताल के नाम पर ज्यादातर अनुमतियां
अस्पताल में एक और खुलासा हुआ है कि किसी भी अस्पताल को चलाने में 17 से 18 प्रकार की अनुमतियां लगती है। उसमें से आधी अनुमति अभी भी पुराने अस्पताल यानी की सिटी अस्पताल के नाम पर चल रही है। हालांकि, कुछ अनुमति में इन्होंने परिवर्तन किया है, लेकिन ज्यादातर अनुमति सिटी अस्पताल के नाम से क्यों है। इसका राज तो अस्पताल प्रबंधन के पास ही है। सूत्रों के मुताबिक, अस्पताल में ऑपरेशन करने वाला पूरा फंक्शन करने वाला स्टाफ अभी भी सरबजीत सिंह मोखा के सिटी अस्पताल का ही स्टाफ मौजूद है।
पहले भी विवादों में रहा है अस्पताल
हैदराबाद ओमेगा अस्पताल के नाम से चल रहे इस अस्पताल को इसके पहले सिटी अस्पताल के नाम से जाना जाता था। उस समय भी अस्पताल बहुत सारे विवादों में घिरा रहा। खासकर के कोरोना काल में इसी अस्पताल में नकली रेमडिसिवर इंजेक्शन लगाने से करीब 9 लोगों की जान चली गई थी। जिसमें अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ ही कई सारे मामले दर्ज हुए थे। यहां तक की अस्पताल के मालिक सहित परिवार के लोगों और अस्पताल प्रबंधन के कुछ लोगों को जेल तक जाना पड़ा था।