नागा घाटी में भू-स्खलन रोकने सरकार गंभीर नहीं, एमपी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और सड़क परिवहन निगम को दिया नोटिस
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने जबलपुर-मंडला मार्ग स्थित नागा घाटी भूस्खलन मामले में राज्य शासन और सड़क परिवहन निगम को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने जबलपुर-मंडला मार्ग स्थित नागा घाटी भूस्खलन मामले में राज्य शासन और सड़क परिवहन निगम को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई दो सितंबर को निर्धारित की है। यह जनहित याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांत अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे और सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव द्वारा दायर की गई है, जिनकी ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा। याचिका में कहा गया है कि जबलपुर-मंडला-रायपुर नेशनल हाईवे पर बरेला के आगे नागा घाटी लगभग 2600 मीटर के दायरे में आती है, जहां लगातार भूस्खलन होता रहता है। इसके चलते सड़कों पर पत्थर गिरने से दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है।
कमिश्नर से भी लगाई थी गुहार-
याचिकाकर्ताओं ने पहले भी संभागायुक्त जबलपुर को इस समस्या के संबंध में पत्र लिखा था, जिसके बाद सड़क विकास प्राधिकरण को पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए गए थे। रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन ने भी आश्वासन दिया था कि विशेषज्ञों की राय ली जा रही है और जल्द ही ठोस उपाय किए जाएंगे, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। याचिकाकर्ताओं द्वारा ध्यान आकर्षित कराने पर मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले में संज्ञान लेकर रिपोर्ट तलब की थी। रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन ने विशेषज्ञों की राय प्राप्त होने और वन भूमि परिवर्तन की कार्रवाई के उपरांत शीघ्र ही सुरक्षा के उपाय किए जाने की जानकारी दी थी। याचिका के साथ प्रकाशित समाचारों को संदर्भ के रूप में संलग्न किया गया है। हाईकोर्ट ने इन समाचारों और अब तक की समस्त कार्रवाई के दस्तावेजों को अभिलेख पर लेने के साथ ही राज्य शासन और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जवाब आने के बाद आगामी दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।