सीबीआई जांच करवाने से सरकार ने किया इंकार, विपक्ष ने किया हंगामा 

मध्य प्रदेश विधानसभा में परिवहन घोटाले को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। कांग्रेस विधायकों ने 20 मार्च को इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग उठाई और विरोधस्वरूप विधानसभा से वॉकआउट कर दिया।

Mar 21, 2025 - 13:43
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सीबीआई जांच करवाने से सरकार ने किया इंकार, विपक्ष ने किया हंगामा 
Government refused to get CBI investigation done opposition created ruckus

 

मध्य प्रदेश विधानसभा में परिवहन घोटाले को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। कांग्रेस विधायकों ने 20 मार्च को इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग उठाई और विरोधस्वरूप विधानसभा से वॉकआउट कर दिया। यह मामला राज्य में एक अहम राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार घोटाले में संलिप्त लोगों को बचाने का प्रयास कर रही है, जबकि सरकार ने सीबीआई जांच की मांग को ठुकरा दिया है।

गुरुवार को कांग्रेस ने विधानसभा में इस मुद्दे पर जोरदार विरोध किया। पार्टी का आरोप है कि सरकार दोषियों को संरक्षण दे रही है। कांग्रेस विधायकों ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए सदन के बाहर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और गंभीर आरोप लगाए।

सीबीआई जांच की मांग और सरकार का जवाब

विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने कहा कि परिवहन घोटाले की जांच पहले से ही लोकायुक्त, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग जैसी तीन एजेंसियां कर रही हैं। इसके बावजूद, उन्होंने सरकार से यह जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की। सिंघार ने आरोप लगाया कि परिवहन विभाग का पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा इस घोटाले में पकड़ा गया है।

उन्होंने सवाल उठाया कि जब किसी के पास सोने की ईंटें मिलती हैं, तो यह जनता का पैसा है। उन्होंने सरकार पर पूर्व मंत्रियों को बचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार इस मामले में बैकफुट पर नजर आ रही है, जिससे उसकी कमजोरी जाहिर होती है।

सरकार ने सीबीआई जांच से किया इनकार

परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने विपक्ष की मांग को खारिज करते हुए कहा कि इस घोटाले की जांच पहले से ही तीन एजेंसियां कर रही हैं। जब तक उनकी रिपोर्ट नहीं आती, तब तक किसी और एजेंसी से जांच कराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट से पहले आरोप लगाना उचित नहीं है। साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सौरभ शर्मा के पास किसी भी नेता के नाम वाली कोई डायरी बरामद नहीं हुई है।

नियुक्ति पर उठे सवाल

सौरभ शर्मा की नियुक्ति पर भी सवाल खड़े किए गए, जिस पर परिवहन मंत्री ने सफाई दी कि नियुक्ति का निर्णय पूरी तरह कलेक्टर का होता है। अगर विभाग में पद खाली नहीं होता, तो कलेक्टर तय करता है कि नियुक्त व्यक्ति को कहां भेजा जाए। उन्होंने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के समय यह निर्धारित नहीं किया जा सकता कि व्यक्ति बाद में अनियमितताओं में शामिल होगा या नहीं।

मंत्री ने आगे कहा कि जब विभाग के संज्ञान में यह मामला आया और शपथ पत्र गलत पाए गए, तो पुलिस को पत्र लिखकर आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की सिफारिश की गई। उन्होंने दावा किया कि नियुक्ति प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं थी, लेकिन जब अनियमितताएं सामने आईं, तो तुरंत कार्रवाई की गई।