हाईकोर्ट ने माना...दुष्कर्म-छेड़छाड़ में फंसाने की धमकी बन सकती है खुदकशी की वजह
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने एक अहम फैसले में माँ-बेटी को राहत देने से इंकार कर दिया। दोनों आवेदक उस प्रकरण से राहत चाह रहीं थीं, जो एक युवक की आत्महत्या के बाद उन पर दर्ज किया गया है।
एक अहम फैसले में हाईकोर्ट ने बालाघाट की माँ-बेटी को राहत देने से किया इंकार
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने एक अहम फैसले में माँ-बेटी को राहत देने से इंकार कर दिया। दोनों आवेदक उस प्रकरण से राहत चाह रहीं थीं, जो एक युवक की आत्महत्या के बाद उन पर दर्ज किया गया है। सारे सबूत और दलीलों पर गौर करने के बाद कोर्ट ने पाया कि दुष्कर्म-छेड़छाड़ के मामले में फंसाने की धमकी भी आत्महत्या की प्रेरणा हो सकती है। जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने आदेश में कहा है कि युवक पीएससी की तैयारी कर रहा था। आपराधिक झूठे प्रकरण में फंसने के कारण उसे सरकारी नौकरी नहीं मिलती। अनावेदकों के खिलाफ धारा-306 के तहत प्रकरण चलाये जाने के प्रयाप्त प्रमाण मौजूद हैं।
बालाघाट निवासी डॉ. शिवानी निषाद तथा उसकी मां रानी बाई ने धारा-306 के तहत मंडला जिले के बम्हनी थाने में धारा 306 के तहत दर्ज प्रकरण को खारिज किये जाने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि मृतक की मां कॉलोनी में आतंक मचाती थी। मां और बेटे के खिलाफ कॉलोनी में रहने वाले कई लोगों ने पुलिस में प्रकरण भी दर्ज कराया है।
सुनवाई में तथ्य आये सामने-
एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि चंद्रशेखर उर्फ पवन आहूजा तथा उसकी मां का नाली में कचरा फेंकने के कारण विवाद था। पड़ोसियों ने युवक तथा उसकी मां के खिलाफ बालाघाट के कोतवाली थाने में अपराधिक प्रकरण दर्ज करवाये थे। युवक मकान गिरवी रखकर पीएससी की तैयारी के लिए इंदौर चला गया था। मानसिक तनाव के कारण उसका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था। वह बालाघाट आया तो पड़ोस में रहने वाली आवेदक डॉ. शिवानी निषाद ने दुष्कर्म व छेड़छाड़ के आरोपी की झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाने की धमकी दी थी।
सुसाइड नोट में क्या था-
युवक पिता के साथ मंडला के निकट बम्हनी बंजर चला गया था। इस दौरान पड़ोसियों से उसकी मां का विवाद हुआ था, जिसके बाद वह बालाघाट वापस आया तो उसे फिर झूठे आरोप में फंसाने की धमकी दी गयी। इतना ही नहीं बेशर्म कहते हुए मरता क्यों नहीं है, कहा गया। युवक ने वापस मंडला आकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसके पास मिले सुसाइड नोट में भी इस बात का उल्लेख किया गया है। पुलिस ने जांच के बाद आवेदक महिला डॉक्टर, उसकी मां सहित अन्य के खिलाफ धारा-306 के तहत प्रकरण दर्ज किया था। युवक की मां ने भी अपने बयान में बताया है कि उसके बड़े बेटे की तीन साल में मौत हो गयी थी। दूसरे बेटे ने भी आत्महत्या कर ली। बेटे को दुष्कर्म व छेड़छाड़ के झूठे प्रकरण में फंसाने की धमकी आवेदक द्वारा दी गयी थी। इतना ही नहीं बालाघाट में नहीं रहने के दौरान भी अनावेदकों ने उसके बेटे के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज करवा दिया था। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया।