डीआईजी मयंक अवस्थी पर हाईकोर्ट ने लगाया 5 लाख का जुर्माना, हत्या के मामले में तथ्यों को छिपाने के लिए लगाई फटकार
एमपी हाईकोर्ट ने भोपाल के डीआईजी मयंक अवस्थी को एक हत्या के मामले में तथ्यों को कथित रूप से छिपाने को लेकर फटकार लगाई है और उन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

एमपी हाईकोर्ट ने भोपाल के डीआईजी मयंक अवस्थी को एक हत्या के मामले में तथ्यों को कथित रूप से छिपाने को लेकर फटकार लगाई है और उन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। मयंक अवस्थी एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं और मध्य प्रदेश के कई जिलों में एसपी के पद पर कार्य कर चुके हैं। यह जुर्माना दतिया जिले से जुड़े एक पुराने मामले में लगाया गया है। आइए जानते हैं कि यह मामला क्या है और कोर्ट ने क्या टिप्पणी की।
कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
जस्टिस जी.एस. अहलूवालिया ने अपने आदेश में कहा कि मयंक अवस्थी में देश के कानून के प्रति कोई सम्मान नहीं है और वे एक पुलिस अधिकारी के रूप में अपनी मर्जी से काम करने के आदी हैं। यह टिप्पणी अदालत ने एक हत्या के केस में सबूतों को दबाने के आरोपों के मद्देनज़र की। कोर्ट ने न केवल उनके आचरण पर सवाल उठाए, बल्कि उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दिए हैं। साथ ही, यह भी कहा कि पुलिस विभाग में उनकी उपयुक्तता पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
मामला 2018 से जुड़ा है
यह पूरा मामला साल 2018 का है, जब दतिया जिले में मानवेंद्र सिंह गुर्जर उर्फ रामू एक हत्या के केस में आरोपी बनाया गया था। उसने कोर्ट में याचिका दाखिल कर अभियोजन पक्ष के दावों को चुनौती दी थी। याचिका में मांग की गई थी कि कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) को सुरक्षित रखा जाए, ताकि यह साबित किया जा सके कि घटना के वक्त गवाह और मृतक मौके पर मौजूद नहीं थे।
इस मामले में पुलिस पर सबूतों को छुपाने और मामले को ठीक से दर्ज न करने का आरोप लगा, जिससे कोर्ट ने मयंक अवस्थी की भूमिका को गंभीरता से लिया और उन्हें सख्त शब्दों में फटकार लगाई।
मामले के समय मयंक अवस्थी दतिया में एसपी के पद पर तैनात थे। उन्होंने कोर्ट में यह दलील दी कि जब संबंधित याचिका पर सुनवाई हो रही थी, तब तक उनका तबादला हो चुका था और उनके पास रिकॉर्ड पेश करने का अधिकार नहीं था। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस पर गौर किया कि 7 सितंबर 2018 को ट्रायल कोर्ट ने कुछ मोबाइल नंबरों और सिम कार्ड की कॉल डिटेल और लोकेशन की जानकारी सुरक्षित रखने का आदेश दिया था। यह आदेश 17 सितंबर 2018 को मयंक अवस्थी को ईमेल के जरिए भेजा गया था।
कोर्ट ने माना कि झूठी जानकारी दी गई
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि मामले में अनुपालन के लिए आवेदन होने के बावजूद जांच एजेंसी ने यह गलत दावा किया कि रिकॉर्ड को सुरक्षित नहीं रखा जा सका। अदालत ने कहा कि उस समय दतिया के एसपी रहे मयंक अवस्थी ने जानबूझकर वह जानकारी दबाई, जिसे ट्रायल कोर्ट ने सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था।
अवस्थी पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी
कोर्ट ने मयंक अवस्थी की कार्यशैली पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्होंने निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच के साथ-साथ कम से कम एक पक्ष के निष्पक्ष सुनवाई के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करने की कोशिश की। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य के डीजीपी को निर्देश दिया कि वे विचार करें कि क्या ऐसे अधिकारी को पुलिस विभाग में बने रहना चाहिए।
पांच लाख का जुर्माना और चेतावनी
मौजूदा समय में मयंक अवस्थी भोपाल में डीआईजी इंटेलिजेंस के पद पर तैनात हैं। कोर्ट ने उन्हें आदेश दिया है कि वे एक महीने के भीतर 5 लाख रुपये की राशि मुआवजे के रूप में प्रिंसिपल रजिस्ट्रार के पास जमा करें। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ वसूली की कार्रवाई शुरू की जाएगी और कोर्ट की अवमानना (कन्टेम्प्ट ऑफ कोर्ट) का अलग मामला भी चलाया जाएगा।
मयंक अवस्थी का प्रोफाइल
आईपीएस मयंक अवस्थी 2012 बैच के अधिकारी हैं। अपने 13 वर्षों की सेवा में उन्होंने कटनी, खरगोन, दतिया, पन्ना और सीहोर जिलों में एसपी के रूप में कार्य किया है। पिछले वर्ष उन्हें सीहोर से हटाकर भोपाल स्थित पुलिस मुख्यालय में पदस्थ किया गया था।