EWS आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट गंभीर,राज्य सरकार से मांगा जबाव
याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से जबाव मांगा कि सभी जाति और वर्गों में गरीबी है,तो सिर्फ सामान्य वर्ग को ही ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र क्यों जारी किया जा रहा है? अदालत ने कहा कि राज्य सरकार 30 दिनों के भीतर इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करे।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने केवल सामान्य वर्ग के गरीबों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) प्रमाणपत्र दिए जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। जनहित का मामला एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस संस्था ने दायर किया है।जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से जबाव मांगा कि सभी जाति और वर्गों में गरीबी है,तो सिर्फ सामान्य वर्ग को ही ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र क्यों जारी किया जा रहा है? अदालत ने कहा कि राज्य सरकार 30 दिनों के भीतर इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करे।
मध्यप्रदेश सरकार पर लगाए आरोप
मध्यप्रदेश सरकार का 2 जुलाई 2019 को जारी EWS नीति संविधान के प्रावधानों के हिसाब से असंगत है। संविधान के अनुच्छेद में स्पष्ट प्रावधान है कि सभी वर्गों को ईडब्ल्यूएस का प्रमाण पत्र का लाभ मिलना चाहिए। मप्र सरकार ने ईडब्ल्यूएस के 10 फीसदी आरक्षण का लाभ देने के उद्देश्य से ये प्रमाण- पत्र केवल सामान्य वर्ग के लोगों को दिए जाने की पॉलिसी जारी की है। ओबीसी, एससी, एसटी वर्ग को ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है।
आरक्षण (reservation) नीति को कोर्ट ने माना असंगत
हाईकोर्ट (High Court) ने मध्य प्रदेश शासन की EWS आरक्षण की नीति को असंगत माना है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी ने कहा है कि सरकार जाति, वंश, लिंग, जन्म और स्थान के आधार पर अंतर नहीं कर सकती। उक्त पालिसी गरीबों में जाति तथा वर्ग के आधार पर भेद करती है।