होलिका दहन: जानिए किस दिन मनाया जाएगा होलिका दहन का पर्व, क्या है शुभ मुहूर्त
होली का पर्व पुरे भारत में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। यह केवल रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि इसके सामाजिक और धार्मिक महत्व भी हैं।

होली का पर्व पुरे भारत में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। यह केवल रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि इसके सामाजिक और धार्मिक महत्व भी हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर अपनी खुशी साझा करते हैं और घरों में पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं।
होली और होलिका दहन का महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, होली का पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इसके पहले होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, होलिका दहन से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
पूर्णिमा तिथि और होलिका दहन का शुभ समय
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे से शुरू होकर 14 मार्च को सुबह 12:23 बजे तक रहेगी। चूंकि हिंदू धर्म में उदया तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है, इसलिए पूर्णिमा तिथि का प्रभाव 14 मार्च को भी रहेगा।
होलिका दहन पर भद्रा का प्रभाव
होलिका दहन के दिन भद्रा काल का ध्यान रखना आवश्यक होता है, क्योंकि मान्यता है कि भद्रा में होलिका दहन करना अशुभ होता है। शास्त्रों के अनुसार, भद्रा काल में किए गए शुभ कार्यों का नकारात्मक असर होता है। इस कारण होलिका दहन का समय निर्धारित करते वक्त भद्रा समाप्त होने का इंतजार किया जाता है।
इस वर्ष भी होलिका दहन के दिन भद्रा काल रहेगा। ज्योतिष गणना के अनुसार, भद्रा 13 मार्च को रात 10:30 बजे समाप्त होगा। इसके बाद, 13 मार्च को रात 11:26 बजे से 12:30 बजे तक होलिका दहन का शुभ समय रहेगा, जो कुल 1 घंटे 4 मिनट्स तक रहेगा।
होलिका दहन का महत्व
होलिका दहन से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों का नाश होता है, जिससे घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। इस समय आग की परिक्रमा करने और उसमें नारियल, गेहूं, आदि अर्पित करने से घर-परिवार की रक्षा होती है। होलिका की अग्नि से निकलने वाली ऊर्जा वातावरण को शुद्ध करती है, जिससे विभिन्न बीमारियों से बचाव होता है।