पति का अपनी पत्नी के स्त्रीधन पर कोई नियंत्रण नहीं होता:सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक पति का अपनी पत्नी के स्त्रीधन पर कोई नियंत्रण नहीं होता और भले ही वह संकट के समय इसका उपयोग कर सकता है, लेकिन उसका नैतिक दायित्व है कि वह इसे अपनी पत्नी को लौटाए।

Apr 26, 2024 - 16:44
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पति का अपनी पत्नी के स्त्रीधन पर कोई नियंत्रण नहीं होता:सुप्रीम कोर्ट
Husband has no control over his wife's property: Supreme Court

अदालत ने 25 लाख मूल्य का सोना लौटाने पति को दिए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक पति का अपनी पत्नी के स्त्रीधन पर कोई नियंत्रण नहीं होता और भले ही वह संकट के समय इसका उपयोग कर सकता है, लेकिन उसका नैतिक दायित्व है कि वह इसे अपनी पत्नी को लौटाए। कोर्ट ने महिला को उसका 25 लाख रुपये मूल्य का सोना लौटाने का निर्देश भी उसके पति को दिया।

जानिए क्या है मामला-

महिला ने दावा किया था कि उसकी शादी के समय उसके परिवार ने 89 सोने के सिक्के उपहार में दिए थे। शादी के बाद उसके पिता ने उसके पति को दो लाख रुपये का चैक भी दिया था। महिला के मुताबिक शादी की पहली रात पति ने उसके सारे आभूषण ले लिए और सुरक्षित रखने के बहाने से अपनी मां को दे दिए। महिला ने आरोप लगाया कि पति और उसकी मां ने अपने कर्ज को चुकाने में उसके सारे जेवरों का दुरुपयोग किया। फैमिली कोर्ट ने 2011 में कहा था कि पति और उसकी मां ने वास्तव में अपीलकर्ता महिला के सोने के आभूषण का दुरुपयोग किया और इसलिए वह इस नुकसान की भरपाई की हकदार है।
केरल हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट द्वारा दी गई राहत को आंशिक रूप से खारिज करते हुए कहा कि महिला पति और उसकी मां द्वारा सोने के आभूषणों की हेराफेरी को साबित नहीं कर पाई। तब महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खट खटाया । जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि 'स्त्रीधन' पत्नी और पति की संयुक्त संपत्ति नहीं होती है, और पति के पास मालिक के रूप में संपत्ति पर कोई अधिकार या स्वतंत्र प्रभुत्व नहीं है।

कोर्ट ने फैसले में क्या कहा-

शीर्ष अदालत ने कहा कि महिला ने 89 सोने के सिक्कों के बदले में रुपयों की वसूली के लिए सफलतापूर्वक कार्रवाई शुरू की है। साल 2009 में इनका मूल्य 8.90 लाख रुपये था। बेंच ने कहा, इस दौरान फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखना, बिना किसी अतिरिक्त बात के, उसके साथ अन्याय होगा। समय बीतने, जीवन-यापन की बढ़ती लागत और समानता तथा न्याय के हित को ध्यान में रखते हुए, हम संविधान के अनुच्छेद 142 द्वारा दी गई शक्ति का प्रयोग करते हुए अपीलकर्ता को 25 लाख रुपये की राशि प्रदान करना ठीक समझते हैं।'

क्या होता है स्त्रीधन -

शादी से पहले, शादी के दौरान और विदाई या उसके बाद महिला को उपहार में मिली संपत्तियां उसका 'स्त्रीधन' होती हैं। यह उसकी पूर्ण संपत्ति है और वह अपनी इच्छानुसार इससे जो चाहे वह कर सकती है।