कोविड के बाद यदि स्लीप पैटर्न बिगड़ा, तो सकता है कोरोनासोमनिया
जब से 2019 में पहली बार कोविड-19 का पता चला, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों द्वारा हर दिन वायरस के नए दुष्पभाव की खोज की जा रही है। अब तक यह मालूम चल चुका है कि कोरोनावायरस आपके मानसिक स्वास्थ्य और दिल पर असर डाल सकता है।
जब से 2019 में पहली बार कोविड-19 का पता चला, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों द्वारा हर दिन वायरस के नए दुष्पभाव की खोज की जा रही है। अब तक यह मालूम चल चुका है कि कोरोनावायरस आपके मानसिक स्वास्थ्य और दिल पर असर डाल सकता है। लेकिन कुछ शोध के अनुसार, इसके नुकसानों में नींद संबंधि समस्याएं भी हो सकती हैं। दो मरीज कोविड-19 से संक्रमित हुए थे, उन्हें लंबे समय तक नींद में अनियमिता और समस्या हो रही है। विशेषज्ञों ने इसे कोरोनासोमनिया का नाम दिया है। क्या है कोरोनासोमनिया और किस तरह व्यक्ति इससे प्रभावित होते हैं। आइए जानते हैं-
बदलती जीवनशैली और कम प्रतिरोधक क्षमता से बढ़ता है खतरा
कोरोनासोमनिया के पीछे का कोई सटीक कारण तो नहीं है, लेकिन डॉक्टरों ने कहा है कि किसी व्यक्ति की नींद का पैटर्न उनकी इम्यूनिटी पावर से जुड़ा होता है और कोविड के लक्षणों के बाद व्यक्ति के शरीर की प्रतिरोधकता क्षमता सबसे अधिक प्रभावित होती है। जिससे व्यक्ति इससे रिकवर होने में ज्यादा समय लेता है। जब व्यक्ति अपने आप में ही स्वस्थ्य महसूस नहीं करता तो उनकी नींद का पैटर्न भी बिगड़ जाता है। जिससे उन्हें कोरोनासोमनिया जैसा अनुभव होता है। कोरोना महामारी के दौरान जीवनशैली में बदलाव ने भी कोरोनासोमनिया में योगदान दिया है। दरअसल, कोविड के दौरान लोग कम ऊर्जा स्तर के साथ काफी कम सक्रिय हो गए थे, जिससे वायरस से संक्रमित होने पर उनकी नींद का पैटर्न बदला है।