देवउठनी एकादशी पर कर लिया तुलसी पूजन तो होगी हर मनोकामना पूर्ण
देवउठनी एकादशी को लेकर लोगों में खास उत्साह देखने को मिल रहा है। सभी 24 एकादशियों में से देवोत्थान एकादशी सबसे खास होती है।
देवउठनी एकादशी को लेकर लोगों में खास उत्साह देखने को मिल रहा है। सभी 24 एकादशियों में से देवोत्थान एकादशी सबसे खास होती है। कारण है इस दिन भगवान विष्णु चार महीनों की योग निद्रा के बाद जागते हैं और उनके जागने से ही बंद पड़े मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाती है। इस दिन तुलसी जी का विवाह भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार से कराया जाता है। इसलिए तुलसी जी साक्षात लक्ष्मी की तरह पूजी जाती है। इस दिन तुलसी मैया को खूबसूरत साड़ी के साथ लाल चुनरी चढ़ाई जाती है। उनका सुंदर श्रृंगार किया जाता है। जिस तरह एक दुल्हन को सजाया जाता है, ठीक उसी तरह से इस दिन तुलसी जी का श्रृंगार होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन तुलसी मैया को लाल चुनरी जरूर चढ़ाना चाहिए, साथ ही लाल या पीले रंग का धागा, मौली बांधकर अपनी मनोकामना को तुलसी जी से कहना चाहिए। इससे उनकी कृपा से हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
गन्ने के मंडप को सजाना होता है शुभ
भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां पर मनाए जाने वाले त्योहार भी इनसे ही संबंधित होते हैं। तुलसी विवाह या देवउठनी एकादशी पर गन्ने चढ़ाए जाते हैं। गन्ने का ही मंडप सजाया है। ये शुभ माना जाता है। सर्दी के मौसम की शुरूआत कार्तिक मास से ही होती है इस दौरान गन्ने की नई फसल कटती है। जिसे सबसे पहले भगवान को भोग के रूप में समर्पित किया जाता है। इसके बाद से ही गन्ने को खाया जाता है। ये हमारी संस्कृति है जिस तरह हम शुभ कार्यों को करने से पहले भगवान का स्मरण करते हैं। उसी प्रकार से गन्ने की फसल का उपयोग करने से पहले उसे भगवान को समर्पित किया जाता है। जिससे धन धान्य की कभी कमी नहीं होती और सुख समृद्धि आती है।
वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए करें तुलसी विवाह
ऐसा माना जाता है कि वैवाहिक जीवन में आने वाले संकटों से बचने के लिए भी देवोत्थान एकादशी पर व्रत रखकर तुलसी जी का विवाह विधि-विधान से करना चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती हैं। साथ ही मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा सदैव आप पर बनी रहती है।