जांच जारी, अंतरिम राहत से इंकार, अदालतों की चौखट पर पहुंचा स्कूलों का फर्जीवाड़ा
जिन स्कूल संचालकों पर फर्जीवाड़े का आरोप है, उन पर धारा 420, 409, 468, 471 के तहत एफआइआर दर्ज की गयी है। बड़ी आपत्ति है कि धारा 409 क्यों लगाई गयी। इस सवाल को लेकर हाईकोर्ट में दो अलग-अलग नामों से जनहित याचिकाएं दायर की गईं।
चार हफ्ते में सरकार का पक्ष आने के बाद होगी बहस, दो अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत नहीं
स्कूलों संचालकों पर हुई ताबड़तोड़ कार्रवाई ने समाज के हर वर्ग को हिला दिया है। सबकी अपनी-अपनी राय है और अपनी-अपनी जानकारी। पैरेंट्स की शिकायतें, उनकी जांच और गिरफ्तारी से होते हुये अब ये मामला माननीय न्यायालय की चौखट पर पहुंच गया है। मामला दो पक्षों में बंट रहा है। कार्रवाई करने वाले अपने एक्शन को सही बता रहे हैं तो वहीं दूसरा पक्ष है,जो कार्रवाई को कानूनी तौर पर गलत सिद्ध करने में जुटा हुआ है। स्कूल फर्जीवाड़े में धारा 409 पर बहस का माहौल बना हुआ है। इधर, अभिभावकों ने भी तैयारी की है कि यदि ये प्रकरण माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होगा तो वे भी अपनी बात रखेंगे।
जिन स्कूल संचालकों पर फर्जीवाड़े का आरोप है, उन पर धारा 420, 409, 468, 471 के तहत एफआइआर दर्ज की गयी है। बड़ी आपत्ति है कि धारा 409 क्यों लगाई गयी। इस सवाल को लेकर हाईकोर्ट में दो अलग-अलग नामों से जनहित याचिकाएं दायर की गईं। स्कूल संचालकों की ओर से दायर इन याचिकाओं में शहर के नामचीन वकीलों की फौज खड़ी कर दी। हाईकोर्ट के न्यायधीश विशाल धगट की कोर्ट में शहर के नामचीन वकीलों की फौज ने निजी स्कूलों पर जिला प्रशासन की कार्रवाई को कटघरे में खड़ा किया। सुनवाई के दौरान आरोपी बनाए गए स्कूल संचालकों, प्राचार्यों और प्रबंधन से जुड़े लोगों पर धारा 409 लगाए जाने पर खूब सवाल-जवाब हुए।
समझें क्या है धारा 409
दरअसल धारा 409 गबन के आरोपी पर कायम की जाती है। स्कूल संचालक गबन के आरोप को खारिज कर रहे हैं तो वहीं प्रशासन इस धारा के तहत की गई कार्रवाई को बार-बार सही ठहरा रहा है। ये धारा गैर जमानती है और इसमें दस साल की सजा है। एक तरफ कानूनविद् कह रहे हैं कि धारा 409 इसलिए कायम की गई। क्योंकि स्टूडेंट्स ही परिवार, देश और समाज की संपत्ति है, इस संपत्ति को स्कूलों को सौंपा गया, उन्हें फीस दी गयी। स्कूलों ने इस फीस के बदले बच्चों को नकली किताबों से पढ़ाया, जिससे संपत्ति यानी स्टूडेंट्स को नुकसान हुआ।य ही आधार धारा 409 कायम करने का। तर्क प्रस्तुत किया जा रहा है कि अभिभावकों का विश्वास हनन किया गया इसलिए ये धारा एकदम सही कायम की गयी है। इससे अलग राय रखने वाले कानून के जानकारों का है कि प्रशासन ने न केवल धाराएं गलत लगाईं हंै, बल्कि पूरी कार्रवाई ही कानून सम्मत नहीं है।
अर्नब गोस्वामी का केस का दिया हवाला
सुनवाई के दौरान स्कूल संचालकों को अंतरिम राहत दिलाने वकीलों ने फौज ने अर्नब गोस्वामी केस का भी हवाला दिया। जिसमें बताया गया है कि न्यायधीश के पास आर्टिकल 226 के तहत विशेष अधिकार हैं। जिसके तहत गिरफ्तार आरोपियों को अंतरिम राहत दी जा सकती है। लेकिन कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इंकार करते हुए राज्य सरकार को 4 हफ्तों में अपना पक्ष रखने निर्देश दिए हैं।
प्राचार्यों की गिरफ्तारी का मुद्दा भी गूंजा
सुनवाई के दौरान ये इस बात बड़े जोर से उठाई जा रही है कि आखिर जब सारे फैसले मैनेजमेंट करता है तो प्राचार्यों की गिरफ्तारी क्यों की गयी। एक तरह से ये बात सही भी है, क्योंकि प्राचार्य, प्रबंधन की नौकर है अन्य व्यवसायों की तरह उसे भी मालिक की हर बात पर हां कहना जरूरी है। इस मामले में प्राचार्यों के प्रति हर तरफ से सहानुभूति आ रही है, लेकिन कानूनी रूप से राहत मिलना अभी बाकी है। अनेक प्राचार्य ऐसे भी हैं,जिन्हें पता भी नहीं है कि फीस कब-कितनी बढ़ा दी गयी और किताबें भी नकली हैं। कई प्राचार्य सिर्फ इसलिए जेल में हैं, क्योंकि दस्तावेजों में इनके दस्तखत हैं।