टॉप यूनिवर्सिटीज में शामिल होना आसान नहीं होता, कई चरणों की परीक्षा में देने होते हैं बेहतर परिणाम 

कक्षा 12वीं के परिणाम घोषित होने के बाद से अब छात्र-छात्राओं की निगाहें टॉप इंस्टीट्यूट्स पर हैं। वे अपने बेहतर भविष्य के लिए ऐसे संस्थान का चयन करते हैं जिसकी रैंकिंग अच्छी हो। जितनी अच्छी रैंकिंग होगी उनका प्रोफाइल उतना ही रिच होगा। शिक्षा में रैंकिंग का क्या महत्व होता है यह बात बच्चों से लेकर बड़े तक जानते हैं।

May 22, 2024 - 16:48
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टॉप यूनिवर्सिटीज में शामिल होना आसान नहीं होता, कई चरणों की परीक्षा में देने होते हैं बेहतर परिणाम 
It is not easy to join top universities, one has to give better results in several stages of examination.

कक्षा 12वीं के परिणाम घोषित होने के बाद से अब छात्र-छात्राओं की निगाहें टॉप इंस्टीट्यूट्स पर हैं। वे अपने बेहतर भविष्य के लिए ऐसे संस्थान का चयन करते हैं जिसकी रैंकिंग अच्छी हो। जितनी अच्छी रैंकिंग होगी उनका प्रोफाइल उतना ही रिच होगा। शिक्षा में रैंकिंग का क्या महत्व होता है यह बात बच्चों से लेकर बड़े तक जानते हैं। रैंकिंग के आधार पर ही संस्थान भी एडमिशन लेते हैं। क्या है रैंकिंग और इसे मापने के लिए क्या मापदंड है। कौन इन शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग तय करता है। दरअसल यह एक सरकारी प्रक्रिया है। शिक्षा मंत्रालय हर साल नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क पेश करता है, जिसे एनआईआरएफ भी कहते हैं। इसी सूची में भारतीय शिक्षण संस्थानों की मार्कशीट होती है। 
क्या है एनआईआरएफ- बीते दिनों एनआईआरएफ ने भारतीय यूनिवर्सिटीज की रैंकिंग सूची रिलीज की थी। इसमें इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटीज में आईआईटी मद्रास का नाम टॉप पर था। दरअसल हर साल शिक्षा मंत्रालय 5 मापदंडों के आधार पर देश में हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स के बीच कॉम्पिटीशन बढ़ाने के उद्देश्य से एनआईआरएफ रैंकिंग जारी करता है। एनआईआरएफ रैंकिंग को शिक्षा मंत्रालय की ओर से 2015 में शुरू किया गया था। 

इन पांच मापदंडों के साथ तय होती है रैंकिंग

1. टीचिंग, लर्निंग और रिर्सोसेस- इसमें किसी कॉलेज में शिक्षकों की संख्या को देखा जाता है, टीचिंग क्वालिटी का आंकलन किया जाता है, छात्रों के विकास के सभी शैक्षणिक सुविधाओं का आंकलन किया जाता है। 
2. रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस- इस मापदंड की मदद से यह पता लगाया जाता है कि किसी संस्थान में रिसर्च की क्वालिटी कितनी बेहतर है। फाइनल स्कोर में इसका 15 प्रतिशत जोड़ते हैं। 
3. ग्रेजुएशन के परिणाम- इस मापदंड से यतह पता लगाया जाता है कि प्रत्येक वर्ष किसी संस्थान से कितने बच्चों को रोजगार के मौके मिल पाए। इससे शिक्षण संस्थानों में प्रोफेशनल लर्निंग को बढ़ावा देने का मौका मिलता है। 
4. आउटरीच एंड इंक्लूजिविटी- इसमें देखा जाता है कि एक संस्थान में कितने अलग-अलग राज्यों या देशों से बच्चे एडमिशन लेते हैं। यानी विविधता पर ध्यान दिया जाता है। इसका कुल स्कोर में 20 प्रतिशत लिया जाता है। 
5. पीयर परसेप्शन- इससे यह पता लगाते हैं कि अन्य संस्थानों की कैसी छवि है। इसे बेहतर करने के लिए संस्थान कई सेमिनार कराते हैं। फाइनल स्कोर में इसका 10 प्रतिशत जोड़ते हैं।