जबलपुर लोकसभा चुनाव: दिनेश के साथ एमवाय फैक्टर, आशीष के पास ब्रांड मोदी
भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माने जाने वाले जबलपुर संसदीय क्षेत्र में ताजा चुनाव में इस बार समीकरण करवट बदल रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश यादव को एमवाय यानी मुस्लिम-यादव वोट बैंक से खासी उम्मीदें हैं।
लोकसभा चुनाव:बदले हुए समीकरणों से बदली रणनीति, दोनों उम्मीदवार जीत का मंत्र सिद्ध करने में जुटे
भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माने जाने वाले जबलपुर संसदीय क्षेत्र में ताजा चुनाव में इस बार समीकरण करवट बदल रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश यादव को एमवाय यानी मुस्लिम-यादव वोट बैंक से खासी उम्मीदें हैं। ये फैक्टर अंदरूनी तौर पर एक होता दिखाई दे रहा है,जिससे कांग्रेसियों की आँखों के जुगनू झिलमिला उठे हैं। इधर, भाजपा के प्रत्याशी आशीष दुबे ब्रांड मोदी की छत्रछाया में चुनाव मैदान में डटे हुए हैं। भाजपा का पलड़ा भारी अवश्य है पर मुकाबला अभी एकतरफा नहीं हुआ है। जमीन से जुड़े जानकारों की मानें तो बीते चुनाव की तुलना में ये चुनाव ज्यादा रोचक और बदला हुआ है। जैसे-जैसे मतदान की अंतिम घड़ियां निकट आएंगी तस्वीर और स्पष्ट होगी।
ऐसे समझें बदलाव का समीकरण-
कांग्रेस की तरफ से दिनेश यादव को टिकट मिलने के कारण समीकरण में बदलाव मुमकिन होता दिख रहा है। मुस्लिम वोटर की पहली पसंद कांग्रेस को माना जाता रहा है। इस वोट बैंक के साथ यादव वोट का झुकाव भी हो रहा है,क्योंकि प्रत्याशी यादव है। इससे पहले के चुनाव में मुस्लिम वोटर ने तो कांग्रेस का साथ दिया पर और कहीं से कोई योगदान नहीं मिल सका। कांग्रेस इस जुगलबंदी को भांप चुकी है और पूरी रणनीति इसी दिशा में काम कर रही है। कांग्रेस ने जमीनी स्तर पर अपने प्लस पॉइंट्स को मजबूत करने के लिये पूरी ताकत झौंक दी है। उम्मीद है कि ये फैक्टर कुछ और फायदा भी पहुंचा सकता है। दिनेश के पास बेहतर छवि है,संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है और कार्यकर्ता के साथ सीधा संवाद भी। लिहाजा, कांग्रेस उस स्थिति में अब नहीं है, जैसी पहले थी।
जीत के अतीत से बढ़ा कॉन्फिडेंस-
भाजपा के आशीष दुबे के पास नि:सन्देह सकारात्मक पहलू ज्यादा हैं, लेकिन, चुनावी राजनीति में कब,क्या हो जाये कहा नहीं जा सकता। इतिहास में कई बार ऐसे अवसर आये हैं,जब जीत ने हार की शक्ल अख्तियार कर ली। बहरहाल, आशीष के लिए जबलपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की लगातार चार बड़ी जीतें आत्मविश्वास को बढ़ाने वाली हैं। इसके साथ ही पीएम मोदी का ब्रांड नेम भी आशीष के लिये सुखद साबित हो रहा है। हालांकि, आशीष भी बेदाग छवि के मालिक हैं और संगठन में लंबे कार्यकाल का तजुर्बा भी है, लेकिन, इस तरह के चुनाव का अवसर आशीष के लिये पहला है।
समाज को साधकर वोट का इंतजाम-
चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी सामाजिक ताने-बाने को साधकर वोटों की संख्या बढ़ाने का हर मुम्किन जतन कर रहे हैं। सामाजिक स्तरों पर बैठकों का दौर जारी है, जो रूठे-रूठे हैं, उन्हें मनाने के लिये आरजू-मिन्नत का सिलसिला चल रहा है। पार्टी पदाधिकारी, संगठन प्रमुख सामाजिक संपर्क बढ़ा रहे हैं। समाज के युवाओं व सक्रिय महिलाओं को भी जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही ये संदेश भी दिया जा रहा है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक उनकी बात पहुंच सके। भाजपा की टीम ऐप के माध्यम से जनता से फीडबैक भी ले रही हैं ताकि मूड समझा जा सके। कांग्रेस की ओर से महिला मोर्चा से लेकर अन्य मोर्चा, प्रकोष्ठ, युवा विंग, एनएसयूआई की टीम तेजी से सक्रिय नजर आ रही है। ये टीम सामाजिक प्रमुखों से व्यक्तिगत संपर्क कर रहे हैं। धार्मिक व सामाजिक आयोजनों में भी मेल-मुलाकात का अच्छा अवसर मिल रहा है। दोनों पार्टियों के नेता-कार्यकर्ता सामूहिक पूजन-अनुष्ठान से लेकर, रैलियों, जगराता में शामिल हो रहे हैं। रामनवमीं के पर्व पर पार्टियों को बेहतर अवसर उपलब्ध होगा।