जबलपुर एमपी डीजीपी को मिला नोटिस, एमपी हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं दी युवक को सुरक्षा

जबलपुर निवासी जितेंद्र माखिजा ने अपनी सुरक्षा को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने इन अधिकारियों से जवाब तलब किया है।

Apr 28, 2025 - 14:21
Apr 28, 2025 - 15:14
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जबलपुर एमपी डीजीपी को मिला नोटिस, एमपी हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं दी युवक को सुरक्षा
Jabalpur MP DGP gets notice youth not given security even after MP High Court's order

जबलपुर निवासी जितेंद्र माखिजा ने अपनी सुरक्षा को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने सुरक्षा देने का निर्देश भी दिया था, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई। इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट ने मध्यप्रदेश के डीजीपी और जबलपुर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इन अधिकारियों से जवाब तलब किया है। माखिजा का आरोप है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद उन्हें सुरक्षा नहीं मिली और इस अवधि में उन पर तीन बार जानलेवा हमले हुए।

दरअसल, जितेंद्र माखिजा ने हाई कोर्ट में एक प्राथमिकी (FIR) को रद्द करने की गुहार लगाई थी। साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया था कि उन्हें अपनी जान का खतरा है। माखिजा का कहना था कि शिकायतकर्ताओं से उन्हें खतरा है। इस पर कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया था कि वह खतरे का मूल्यांकन करे और यदि आवश्यक हो तो उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जाए।

माखिजा का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद उन्होंने पुलिस को सुरक्षा के लिए विधिवत आवेदन दिया था, लेकिन इसके बावजूद उन्हें सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई गई। इस बीच उन पर तीन बार हमले हुए। अपनी अवमानना याचिका में माखिजा ने उल्लेख किया कि उन्होंने कोर्ट का आदेश संलग्न कर पुलिस को सुरक्षा की मांग की थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की और उन्हें सुरक्षा से वंचित रखा गया।

इस मामले को हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। जस्टिस ए.के. सिंह की पीठ ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद मध्यप्रदेश के डीजीपी कैलाश मकवाना, जबलपुर जोन के आईजी अनिल सिंह कुशवाह, जबलपुर के एसपी संपत उपाध्याय और ओमती थाने के थाना प्रभारी राजपाल सिंह बघेल को नोटिस जारी कर उनका पक्ष मांगा है। अब यह देखना होगा कि संबंधित पुलिस अधिकारी इस पर क्या जवाब देते हैं। कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद सुरक्षा उपलब्ध न कराना एक चिंताजनक और गंभीर मुद्दा माना जा रहा है।