जबलपुर के निजी स्कूल संचालकों को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने कहा...ये कोई आतंकवादी नहीं जो जमानत न दी जाए
सुप्रीम कोर्ट ने अधीनस्थ कोर्ट के फैसलों पर नाराजगी जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा, वरूण तन्खा व हर्षित बारी ने स्कूल संचालकों की तरफ से पक्ष रखा।
द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर।
सुप्रीम कोर्ट ने अधीनस्थ कोर्ट के फैसलों पर नाराजगी जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा, वरूण तन्खा व हर्षित बारी ने स्कूल संचालकों की तरफ से पक्ष रखा। राज्य की ओर से कहा गया कि निजी स्कूलों द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से फीस बढ़ाने और पुस्तक विक्रेताओं के साथ सांठ-गांठ कर अभिभावकों को तय दुकान से किताब कापियां खरीदने के लिए बाध्य किया गया। जिला प्रशासन की जांच में भी ये सारे तथ्य उजागर हुए थे।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति नागारत्ना व न्यायमूर्ति कोटेश्वर की युगलपीठ ने मनमानी फीस वसूली व पाठ्यपुस्तक घोटाला मामले में जबलपुर के स्कूल संचालकों को जमानत का लाभ दे दिया है। अधीनस्थ अदालत व हाईकोर्ट से राहत न मिलने पर गिरफ्तार किए गए स्कूल संचालकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जमानत आवेदन दायर की गई थी। गौरतलब है कि निजी स्कूलों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर स्कूलों के संचालक, प्रिंसिपल एवं अन्य स्टाफ को गिरफ्तार करते हुए कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था।
आतंकवादी नहीं, जो जमानत न दी जाए-
अधिवक्ता अंशुमान सिंह के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के स्कूलों के आरोपित बनाए गए सभी अपीलार्थियों को जमानत देते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को लताड़ लगाई और कहा कि यह कोई आतंकवादी नहीं हैं जो इन्हें जमानत न दी जाए। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रदेश सरकार जांच पूरी करने में इच्छुक नहीं दिख रही है।