केजरीवाल हारे...प्रवेश की धमाकेदार जीत
दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजों के मुताबिक नई दिल्ली विधानसभा सीट पर बीजेपी नेता प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराकर भारी उलटफेर कर दिया।

दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजों के मुताबिक नई दिल्ली विधानसभा सीट पर बीजेपी नेता प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराकर भारी उलटफेर कर दिया। मतगणना के दौरान दोनों के बीच लगातार बढ़त और पीछे हटने की स्थिति बनी रही, लेकिन दोपहर 12 बजे के बाद प्रवेश वर्मा ने केजरीवाल के खिलाफ बढ़त बनानी शुरू की और अंतत: जीत दर्ज की। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित भी इस सीट से उम्मीदवार थे। प्रवेश वर्मा की इस जीत के बाद, उन्हें दिल्ली के एक प्रमुख और प्रभावशाली नेता के रूप में देखा जा रहा है।
कौन है प्रवेश वर्मा-
प्रवेश वर्मा एक महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वे दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं, और उनके चाचा आजाद सिंह ने उत्तर दिल्ली नगर निगम के महापौर के रूप में कार्य किया था। 2013 विधानसभा चुनाव में मुंडका सीट से भी उनके चाचा ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। प्रवेश वर्मा का जन्म 1977 में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली पब्लिक स्कूल, आरके पुरम से प्राप्त की और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोरीमल कॉलेज से कला में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने फोर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से एमबीए किया।
कुछ ऐसा रहा सियासी सफर-
वर्मा ने 2013 में राजनीति में कदम रखा, जब उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में महरौली सीट से जीत हासिल की। इसके बाद, 2014 में उन्होंने पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट से जीत दर्ज की और 2019 में भी चुनाव जीतकर संसद में अपना स्थान पक्का किया, जहां उन्होंने 5.78 लाख वोटों से विजय प्राप्त की। सांसद के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, वे संसद की वेतन और भत्तों से संबंधित संयुक्त समिति के सदस्य रहे और शहरी विकास पर स्थायी समिति में भी कार्य किया। 2025 विधानसभा चुनाव से पहले, प्रवेश वर्मा ने केजरीवाल को हटाओ, देश को बचाओ नामक एक अभियान चलाया था, जिसके तहत उन्होंने दिल्ली सरकार की आलोचना की। उनका आरोप था कि आम आदमी पार्टी सरकार अपने प्रमुख वादों को पूरा करने में विफल रही है, जैसे प्रदूषण नियंत्रण, महिलाओं की सुरक्षा, और नागरिक बुनियादी ढांचे के विकास में। विशेष रूप से, उन्होंने यमुनाजी को स्वच्छ करने के दिल्ली सरकार के वादे को नाकामयाब बताया। इस अभियान को दिल्ली के मतदाताओं से जबरदस्त समर्थन मिला, और चुनाव परिणामों से यह साफ हो गया कि उनका यह अभियान सफल रहा।