महाकुंभ में किन्नर अखाड़े ने किया अमृत स्नान 

प्रयागराज के महाकुंभ में किन्नर अखाड़े ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और आज जूना अखाड़े के साथ शाही स्नान (अमृत स्नान) किया।

Jan 14, 2025 - 15:46
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महाकुंभ में किन्नर अखाड़े ने किया अमृत स्नान 
Kinnar Akhara took Amrit bath in Maha Kumbh

किन्नरों का अस्तित्व मानव सभ्यता जितना पुराना है और वे हर काल और परिस्थिति में समाज का हिस्सा रहे हैं, चाहे वह किसी भी धर्म, पंथ या देश की बात हो। इस बार प्रयागराज के महाकुंभ में किन्नर अखाड़े ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और आज जूना अखाड़े के साथ शाही स्नान (अमृत स्नान) किया। किन्नर अखाड़ा अपनी यात्रा को हमेशा भव्य बनाता है, जिसके लिए वे अपने महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर और अन्य अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपते हैं। इसके साथ ही, किन्नर अखाड़ा अपने शिविर में पूजा-पाठ, यज्ञ और अन्य धार्मिक कार्य भी करता है।

हिंदू पौराणिक ग्रंथों में किन्नरों को यक्षों और गंधर्वों के समान दर्जा दिया गया है। शिखंडी, इला, मोहिनी जैसे पात्रों के माध्यम से किन्नरों की उपस्थिति पौराणिक कथाओं में देखी जा सकती है। महाभारत में शिखंडी का पात्र युद्ध का रूप बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और यह माना जाता है कि किन्नर भगवान शिव का वह अंश हैं जिन्हें अर्धनारीश्वर के रूप में पूजा जाता है। 

किन्नर अखाड़े का इतिहास-

13 अक्टूबर 2015 को किन्नर अखाड़े की स्थापना हुई थी, और इसका लगातार विस्तार हो रहा है। इस अखाड़े के महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी हैं, जिन्हें उज्जैन सिंहस्थ कुंभ में महामंडलेश्वर के रूप में घोषित किया गया था। इस अखाड़े में 60 किन्नरों को दीक्षित किया गया और वे संन्यासी का वेश धारण कर वैदिक संस्कारों का पालन करते हैं। 2018 में किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर ने देश के विभिन्न राज्यों के लिए नए महामंडलेश्वर नियुक्त किए थे। हालांकि, किन्नर अखाड़ा अपनी स्थापना के बाद से ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से 14वें अखाड़े के रूप में मान्यता प्राप्त करने की मांग करता रहा है, लेकिन परिषद ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया है। इसी कारण, उज्जैन कुंभ में किन्नर अखाड़े को बहिष्कार का सामना करना पड़ा था।