जानिए किस दिन मनाया जाएगा ईद-उल-फितर का त्योहार
रमजान का पवित्र महीना अब अपने आखिरी दिनों में है और सभी मुसलमानों का ध्यान ईद के चांद की ओर है। चूंकि ईद-उल-फितर की तारीख चांद पर निर्भर करती है, इसलिए हर साल इसकी तारीख बदलती रहती है।

रमजान का पवित्र महीना अब अपने आखिरी दिनों में है और सभी मुसलमानों का ध्यान ईद के चांद की ओर है। चांद दिखाई देते ही ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाएगा, जो न केवल इबादत का दिन है, बल्कि भाईचारे, प्रेम और खुशियों को बांटने का भी एक खास अवसर है।
मान्यता है कि पूरे महीने के रोजे रखने और इबादत करने के बाद यह दिन अल्लाह की तरफ से एक इनाम के रूप में आता है। इस दिन बाजारों में हलचल बढ़ जाती है, नए कपड़े, मिठाइयां और सेवइयों की खुशबू से वातावरण महक उठता है। मस्जिदों में नमाज अदा करने के बाद लोग एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं और जरूरतमंदों की मदद करके त्योहार को और पवित्र बनाते हैं।
चूंकि ईद-उल-फितर की तारीख चांद पर निर्भर करती है, इसलिए हर साल इसकी तारीख बदलती रहती है। यह त्योहार शव्वाल महीने की पहली तारीख को मनाया जाता है, जो रमजान के समाप्त होने का संकेत होता है। अगर रमजान के 29वें दिन चांद दिखाई दे, तो अगले दिन ईद मनाई जाती है, लेकिन अगर चांद न दिखे, तो रमजान का महीना 30 दिन का पूरा होता है और उसके बाद ईद मनाई जाती है।
चांद के दिखने का समय और स्थिति हर देश में अलग-अलग होती है, इसलिए ईद की तारीख अलग-अलग देशों में भी भिन्न हो सकती है। कुछ इस्लामी देशों में चांद देखने के लिए आधिकारिक समितियां बनाई जाती हैं जो वैज्ञानिक और धार्मिक आधार पर निर्णय लेती हैं, जबकि कई स्थानों पर सऊदी अरब की घोषणा को आधार माना जाता है।
2 मार्च से शुरू हुआ था रमजान-
भारत में इस साल रमजान 2 मार्च 2025 से शुरू हुआ था, और चांद के दिखने पर ईद की तारीख तय होगी। अगर 30 मार्च की शाम को चांद नजर आता है, तो ईद 31 मार्च 2025, सोमवार को होगी, और अगर चांद 31 मार्च की शाम को दिखता है, तो ईद 1 अप्रैल 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी।
ईद-उल-फितर का दिन खुशियों और भाईचारे का होता है। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर नहाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और मस्जिदों में जाकर ईद की नमाज अदा करते हैं। नमाज के बाद लोग एक-दूसरे को गले लगाकर मुबारकबाद देते हैं और रिश्तों को मजबूत करते हैं। इस दिन को मीठी ईद भी कहा जाता है, क्योंकि घर-घर सेवइयां और स्वादिष्ट पकवान बनते हैं। लोग एक-दूसरे के घर जाकर मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं और साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं। बच्चों को इस दिन ईदी दी जाती है, जो बड़े अपने छोटे रिश्तेदारों को पैसे या तोहफे के रूप में देते हैं। ईद का असली उद्देश्य सिर्फ खुशी मनाना नहीं, बल्कि जरूरतमंदों की मदद भी करना है, और इसी उद्देश्य के तहत लोग फितरा (दान) देकर गरीबों और बेसहारा लोगों को इस खुशी में शामिल करते हैं।